कौन हैं नितिन गडकरी?


भाजपा के नए अध्यक्ष का नाम नितिन गडकरी है. उनकी हैसियत राष्ट्रीय स्तर पर बहुत जानी पहचानी नहीं है, पर वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के चहेते माने जाते हैं क्योंकि वो संघ के एक प्रतिबद्ध स्वयंसेवक हैं. उनके पिता जहाँ संघ के एक सामान्य कार्यकर्ता थे वहीं माता एक प्रसिद्ध समाज सेविका थीं. 52 वर्षीय नितिन गडकरी फ़िलहाल महाराष्ट्र में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के साथ-साथ विधान परिषद के सदस्य भी हैं. उनका जन्म महाराष्ट्र के नागपुर ज़िले में एक ब्रह्मण परिवार में हुआ. वो तीन बच्चों के पिता हैं. उन्होंने एलएलबी और एमकॉम तक की शिक्षा ली है. गडकरी ने छात्र जीवन में ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़कर अपने राजनीतिक सफ़र की शुरुआत की. अपने ऊर्जावान व्यक्तित्व और सब को साथ लेकर चलने की ख़ूबी की वजह से वो हमेशा अपने सीनियर की नज़र में प्यारे रहे हैं. विवादों से भी उनका रिश्ता रहा है. लोक सभा के चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के ख़िलाफ कथित आपत्तिजनक बयान देने के लिए वो विवादों में घिरे और चुनाव आयोग ने उनके ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया था.
ऊर्जावान व्यक्तित्व
1995 में वो महाराष्ट्र में शिव सेना- भारतीय जनता पार्टी की गठबंधन सरकार में लोक निर्माण मंत्री बनाए गए और चार साल तक मंत्री पद पर रहे. मंत्री के रुप में वो अपने अच्छे कामों की वजह से ज़बर्दस्त तारीफ़ भी बटोर चुके हैं. 1989 में वो पहली बार विधान परिषद के लिए चुने गए. हालाँकि उससे पहले 1983 में वो चुनाव हारे भी थे. वो पिछले 20 वर्षों से विधान परिषद के सदस्य हैं और आख़िरी बार 2008 में विधान परिषद के लिए चुने गए. वो महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता भी रहे हैं.
उन्होंने अपनी पहचान ज़मीन से जुड़े एक कार्यकर्ता के तौर पर बनाई है. वो एक राजनेता के साथ-साथ एक कृषक और एक उद्योगपति भी हैं. लेकिन जानकारों की राय में उनके अध्यक्ष के कुर्सी (संभावित) तक जाने की सबसे बड़ी वजह आरएसएस से नजदीकी मानी जाती है. लोकसभा चुनावों में लगातार दूसरी बार हार के बाद भाजपा में जो उथल पुथल है उससे उबारने के लिए आरएसएस ने पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों के बदलने की बात कही. और जब संघ ने यह कहा कि नया अध्यक्ष दिल्ली से नहीं होगा तो नेता की तलाश हुई जिसमें उनके साथ गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पारिक्कर का भी नाम उभरा, पर आडवाणी के बारे में पारिक्कर के विवादास्पद बयान ने उनका पत्ता काट दिया और इस तरह उनके रास्ते अधिक आसान हो गए. आख़िर में लालकृष्ण आडवाणी की राय पर नितिन गडकरी के नाम पर आरएसएस ने अपनी मुहर लगा दी है. माना जा रहा है कि इस साल के आख़िर या शुरू में उन्हें पार्टी के अध्यक्ष का ताज पहनाया जा सकता है.
साभार . बीबीसी हिन्‍दी

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