हर तीसरा भारतीय दरिद्र
भारत सरकार की ओर से नियुक्त एक समिति की रिपोर्ट के अनुसार हर तीसरा भारतीय दरिद्रता में जीवन व्यतीत कर रहा है.
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के पूर्व अध्यक्ष सुरेश तेंदुलकर के नेतृत्व वाले विशेषज्ञ समूह का कहना है कि देश में ग़रीबों की तादाद में लगभग 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इस तरह भारत की कुल आबादी का 37 प्रतिशत हिस्सा ग़रीब है.रिपोर्ट के अनुसार 41.8 प्रतिशत ग्रामीण आबादी प्रति माह केवल 447 रुपए से खाना, कपड़ा और ईंधन की ज़रूरतों को पूरा करती है. हालाँकि विशेषज्ञ समूह का कहना है कि शहरी इलाक़ों की हालत कुछ बेहतर है, वहाँ 25.7 प्रतिशत आबादी ग़रीबी रेखा से नीचे रही है और वे लोग खाना, कपड़ा और ईंधन की ज़रूरतों के लिए 579 रुपए प्रति माह ख़र्च करते हैं.
उड़ीसा अव्वल
ग़रीबी के मामले में राज्य स्तर पर उड़ीसा और बिहार की स्थिति सबसे ख़राब है, वहीं नगालैंड, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर में सबसे कम ग़रीब रहते हैं.
उड़ीसा की आधी आबादी ग़रीब है. दूसरी ओर चरमपंथ प्रभावित जम्मू और कश्मीर सबसे अमीर राज्य है जहाँ सरकारी आँकड़े के अनुसार पाँच प्रतिशत ही लोग ग़रीबी रेखा के नीचे हैं.
राज्य योजना मंत्री वी नारायणस्वामी
गुरुवार को राज्य सभा में राज्य योजना मंत्री वी नारायणस्वामी ने एक सवाल के लिखित जवाब में कहा कि लगभग उड़ीसा की आधी आबादी ग़रीब है. दूसरी ओर चरमपंथ प्रभावित जम्मू और कश्मीर सबसे अमीर राज्य है जहाँ सरकारी आँकड़े के अनुसार पाँच प्रतिशत ही लोग ग़रीबी रेखा के नीचे हैं. चंडीगढ़ और पंजाब की स्थिति भी बेहतर बताई गई है, जहाँ क्रमश: 7.07 और 8.14 प्रतिशत आबादी ग़रीबी रेखा के नीचे रहती है. हालाँकि विश्व बैंक के आकलन के अनुसार 41.6 प्रतिशत आबादी रोज़ाना एक डॉलर के कम की आमदनी पर जीवन गुज़ारती है.
साभार - बीबीसी हिन्दी.कॉम
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