...तब हम आतंकवादियों को जल्दी मार देतेः दत्ता
नई दिल्ली : पिछले साल मुंबई हमलों के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के हेड रहे जे. के. दत्त का कहना है कि अगर खास किस्म के ह
थियार और बेहतर खुफिया तंत्र होता तो 26/11 की वारदात के दौरान आतंकवादियों के खिलाफ मुहिम को अलग ढंग से संभाला जा सकता था।
इस साल फरवरी में रिटायर हुए दत्त ने कहा कि आतंकवादियों के खिलाफ चले तीन दिन के अभियान के आखिरी पलों तक एनएसजी को इमारतों में छिपे आतंकवादियों की संख्या के बारे में ठोस खुफिया जानकारी नहीं थी। शुरुआत में तो यह भी नहीं पता था कि होटलों में एक से ज्यादा बिल्डिंग हैं। हमलावरों के खिलाफ मोर्चा एनएसजी ने ही संभाला था।
एटीएस यंग फोर्स
दत्त ने कहा कि मुंबई का आतंकवाद रोधी दस्ता (एटीएस) एक यंग फोर्स है। राज्य की पुलिस काफी वक्त तक यह नहीं समझ सकी थी कि शहर के विभिन्न इलाकों में हथगोले फेंके जा रहे हैं और निर्दोष लोगों पर गोलियां बरसा रहे लोगों की गतिविधियां किसी गैंगवार का हिस्सा नहीं बल्कि आतंकवादी हमला थीं।
वे वाकिफ थे, हम नहीं
फिटनेस के लिहाज से चुस्त-दुरुस्त हमलावर ताज, ट्राइडेंट और नरीमन हाउस के चप्पे-चप्पे से वाकिफ थे। वे ऐसे कमरे में नहीं घुसे, जहां आने-जाने के लिए एक ही दरवाजा था। क्या जवाबी अभियान और तेज हो सकता था इस सवाल पर दत्त ने कहा कि हां, मैं ऐसा मानता हूं। अगर हमारे पास खास किस्म के हथियार होते तो यह निश्चित रूप से अच्छा होता। दहशतगर्दों की सही संख्या को लेकर कोई स्पष्ट सूचना नहीं थी। अलग-अलग वक्त पर दी गई सूचना में उनकी तादाद 10 से 30 के बीच बताई गई थी। होटल का सही नक्शा नहीं होना भी बड़ी परेशानी थी।
साभार-नवभारत टाईम्स
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