पश्चिम का अनुसरण छोड़ बेरहमी से आत्‍मनिरीक्षण करने की जरूरत: संघ प्रमुख


नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने देश में वैचारिक अस्पृश्यता को समाप्त करने की जरूरत पर बल दिया है। भागवत ने पुस्तक विमोचन के एक कार्यक्रम में कहा कि लोग भले ही आरएसएस की विचारधारा से असहमत हों, लेकिन अंतत: सभी भारतीयों को मोटे तौर पर देश के भविष्य को लेकर एकमत होना चाहिए।

भागवत ने जोर देकर कहा कि देश को पश्चिम का अनुसरण नहीं करना चाहिए। इसकी जगह उसे विकास की मूल रूपरेखा तैयार करनी चाहिए। उन्होंने कहा, "हमें बेरहम होकर आत्मनिरीक्षण करना होगा।"

भागवत ने इससे पहले आरएसएस के मुखपत्र पांचजन्य के पूर्व संपादक तरुण विजय द्वारा लिखित पुस्तक 'इंडिया बैटल्स टू विन' का विमोचन किया। भारत और चीन के बीच हाल ही में चले शब्दवाण पर भागवत ने कहा कि देश को 1962 के युद्ध की गलतियों से सबक सीखने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, "हालांकि विस्तारवाद की नीति पर हमारा विश्वास नहीं है, लेकिन देश को इतना समर्थ होना सुनिश्चित करना चाहिए कि उसे कोई धमकी न दे सके।" इसके साथ ही उन्‍होंने देश के पड़ोसी देशों के साथ संबंधों पर भ्‍ज्ञी चिंता जताई।

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