भारत की सारी भाषाओं का भाव एक : सुदर्शन

भारत की सारी भाषाएं राष्ट्रभाषा हैं और सारी भाषाओं में राष्ट्र का साहित्य है। यह कहना है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरसंघचालक केएस सुदर्शन का। यह बात उन्होंने मंगलवार को बहुप्रतीक्षित बाल पत्रिका ‘देवपुत्र’ के मराठी संस्करण के लोकार्पण समारोह में कही। समारोह प्रज्ञादीप विद्या भारती हर्षवर्धन नगर में आयोजित किया गया।
श्री सुदर्शन ने कहा कि भारत की सारी भाषाओं का भाव एक ही है। इसलिए भारत का साहित्य भी एक ही है। पत्रिका के प्रबंध संपादक विकास दवे ने कहा कि देवपुत्र प्रारंभ में विद्यालयीन पत्रिका के रूप में शुरू हुई और धीरे-धीरे इसने मासिक पत्रिका का रूप ले लिया। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी रीडर न होकर व्यूअर बनकर रह गई है। देश में बाल साहित्य पर भी कई शोध कार्य किए जा रहे हैं।
शोध संस्थानों में लगभग 27 शोधार्थी कार्य कर रहे हैं। देवपुत्र पत्रिका ने अपने प्रचार-प्रसार को बढ़ाया है और एक मील का पत्थर साबित हुई है। बाल जगत में बेहद लोकप्रिय पत्रिका देवपुत्र का हिंदी संस्करण सभी प्रदेशों में लोकप्रिय हुआ है और इसकी प्रसार संख्या सवा लाख से अधिक हो गई है।
बाल पाठकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इसका मराठी संस्करण भी प्रारंभ किया गया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार मालती जोशी ने की। इस अवसर पर पत्रिका के मार्गदर्शक कृष्णकुमार अष्ठाना, पत्रिका की नींव रखने वाले रोशनलाल, संस्कृति मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, स्कूल शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनीस, उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय विशेष रूप से उपस्थित थे।

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