प्यारेलाल खंडेलवाल पंचतत्व में विलीन

भोपाल. भाजपा के आधार स्तंभों में शामिल वरिष्ठ नेता प्यारेलाल खंडेलवाल का मंगलवार की सुबह दिल्ली में निधन हो गया। दोपहर उनकी पार्थिव देह को विमान से भोपाल लाई गई। शाम को दीनदयाल परिसर में कार्यकर्ताओं ने अंतिम दर्शन किए और भदभदा विश्रामघाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हुआ। पार्टी नेताओं ने उन्हें नम आंखों और भरे दिल से अंतिम विदाई दी।


जीवन भर सादगी, संस्कार और साफगोई के लिए जाने जाते रहे 80 वर्षीय श्री खंडेलवाल दस साल से कैंसर से पीड़ित थे। पिछले महीने हालत बिगड़ने पर उन्हें उपचार के लिए एम्स में दाखिल कराया गया था। मंगलवार को सुबह दिल का दौरा पड़ा और उन्होंने अंतिम सांस ली। दिल्ली में उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह, विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी, राजनाथसिंह व मुरलीमनोहर जोशी ने श्रद्घांजलि अर्पित की। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत व पूर्व सर संघचालक केएस सुदर्शन ने कहा कि वे दृढ़ इच्छाशक्ति के बूते पर ही रोगों से जूझे और अंतिम समय तक सार्वजनिक गतिविधियों में सक्रिय रहे।


भोपाल में अंतिम विदाई


विमान से दोपहर तीन बजे पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल, भाजपा नेता विपिन दीक्षित और उनके भतीजे प्रकाश खंडेलवाल पार्थिव देह के साथ भोपाल आए। विमानतल पर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और प्रदेशाध्यक्ष नरेंद्रसिंह तोमर मौजूद थे। दिल्ली से दूसरे विमान से पार्टी के राष्ट्रीय सचिव प्रभात झा व सह संगठन मंत्री सौदानसिंह भी पहुंचे।


शाम पौने पांच बजे पार्टी कार्यालय में आधा घंटे अंतिम दर्शन रखे गए। यहां कैलाश जोशी, रघुनंदन शर्मा, कैलाश सारंग, बाबूलाल गौर, भूपेंद्रसिंह, प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय व अनूप मिश्रा, माखनसिंह, भगवतशरण माथुर, विजेंद्रसिंह सिसौदिया, गोविंद मालू समेत सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने श्रद्घासुमन अर्पित किए। भदभदा विश्रामघाट पर उनका अंतिम संस्कार हुआ। मुखाग्नि प्रकाश खंडेलवाल ने दी। यहां महापौर सुनील सूद, भाजपा के पूर्व संगठन महामंत्री संजय जोशी, छत्तीसगढ़ के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, अमर अग्रवाल, राजेश मूणत व सांसद रमेश बैस ने भी श्रद्घांजलि दी।


सफर की शुरूआत सीहोर के गांव से..


सीहोर जिले के चारमंडली गांव में एक किसान परिवार में छह अप्रैल 1929 को जन्में प्यारेलाल खंडेलवाल की औपचारिक शिक्षा तो इंटरमीडिएट तक हुई, लेकिन 1940 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में प्रवेश के बाद उन्होंने सार्वजनिक जीवन को ही अपनी पाठशाला बना लिया। वे 1948 में संघ के प्रचारक बने और 1953 में कश्मीर सत्याग्रह आंदोलन में जेल गए। 1964 में जनसंघ में शामिल हुए। आपातकाल में 19 महीने भूमिगत आंदोलन के सूत्रधार बने। फिर जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी में संगठन के विभिन्न पदों पर कई राज्यों में सक्रिय रहे। 1980 में मप्र से राज्यसभा सदस्य और 1989 में राजगढ़ से लोकसभा के लिए चुने गए। दूसरी बार 2004 में वे पुन: राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए। वे पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के वरिष्ठ सदस्य थे।


जीवन को मिशन बनाया


वे जनसंघ व भाजपा के कार्य की नींव डालने व उसे बढ़ाने वाले प्रमुख कार्यकर्ताओं में से थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संपर्क के बाद उन्होंने अपने जीवन को ही मिशन बना लिया। जीवन भर ध्येय के प्रति समर्पित होकर कार्य कैसे किया जाता है, वे इसके उदाहरण थे।

- अटलबिहारी वाजपेयी, पूर्व प्रधानमंत्री

bhaskar.com

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