बदल सकती है RSS स्वयंसेवकों की गणवेश
नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बदल रहा है और जल्द ही आप संघ नेताओं को पारंपरिक हाफ खाकी नेकर की बजाय पतलून में देखें तो चौंकियेगा मत। दरअसल संघ के भीतर नए जमाने के साथ खुद को बदलने को लेकर गहरा मंथन चल रहा है। इसी का नतीजा है कि लीक से हटकर संघ के ड्रेस कोड को बदलने की चर्चा जोरों पर है। खुद संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इस तरफ इशारा किया है।
भागवत कहते हैं कि सबकी सहमति जिस दिन बन जाएगी उस दिन बदलने में हमको कोई दिक्कत नहीं है। गणवेश में हाफ पैंट भले हो लेकिन शाखा में तो स्वयंसेवक धोती, लुंगी, फुल पैंट, पजामा सबकुछ पहनकर आते हैं।
दरअसल 1925 में हेडगेवार ने आरएसएस का गठन किया तब से ही संघ के स्वंयसेवक खाकी निकर में दिखते आये हैं। कई बार इसे लेकर बहस भी हुई लेकिन संघ की ड्रेस आज भी वही है। 21वीं सदी की हकीकत का सामना कर रहा संघ अब ज्यादा देर करना नहीं चाहता। उसकी ये चिंता इसलिये भी है क्योंकि पिछले कुछ सालों में संघ की शाखाओं में कमी आयी है। नये जमाने से कदमताल कर रहा युवा संघ के निकर में शाखाओं में जाना नहीं चाहता।
इतना ही नहीं, आरएसएस के अंदर अब ये सोच भी सामने आ रही है कि उनके प्रचारकों को दाम्पत्य जीवन में आने से नहीं रोका जाये। पहले इन मामलों में संघ बहुत कट्टर माना जाता था। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने संकेत दिया कि प्रचारकों की शादी को लेकर संघ अपने नियमों में ढ़ील देने पर विचार कर रहा है।
भागवत कहते हैं कि प्रचारक कम चाहिए संघ में व्यवस्थापन कार्य में समय देने वाले ज्यादा चाहिए इसलिए सारा विचार करके हम लोगों ने तय किया है कि जिसका ऐसा मन बनता है जब तक ऐसा मन बनता है तब तक प्रचार करे बाकि इच्छा है उसे तो जाकर करे हमको भी दिक्कत नहीं है।
दरअसल आरएसएस धीरे-धीरे इस सच का सामना कर रहा है कि उसे अपने अंदर कुछ मूलभूत बदलाव करने होंगे। हिन्दुत्व के नाम पर उसकी छवि अभी तक एक ऐसे संगठन की बन कर रह गयी है जिसकी विचारधारा बहुत हद तक मुस्लिम विरोध पर टिकी है। इस चक्कर में एक उदारवादी हिन्दू आरएसएस से जुड़ने को तैयार नहीं है और मुस्लिम समुदाय के अंदर तो अब तक ये संगठन पैठ ही नहीं बना पाया है। इन्क्लूसिव पॉलिटिक्स के इस दौर में संघ का समय के साथ बदलना उसकी जरूरत भी है और मजबूरी भी। ऐसे में संघ खुद को ऐसे बदलना चाहता है कि जो लोगों खासतौर से युवाओं में उत्साह जगाए।
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