बांग्लादेशी भी अलग 'होम लैंड' की तैयारी में
नई दिल्ली ।। असम और पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों के कुछ इलाकों में निर्णायक स्थिति में पहुंच चुके बांग्लादेशी नागरिक अब भारत में अपने लिए अलग 'होम लैंड' मांगने की तैयारी में हैं। सुरक्षा एजंसियों द्वारा गृह मंत्रालय को सौंपी गयी एक रिपोर्ट के मुताबिक असम में अलगववादियों के संघर्ष में बांग्लादेश से आए लोग भी शामिल हो गए हैं। वे स्थानीय अलगाववादी गुटों की मदद तो कर ही रहे हैं। साथ ही अपने 'अलग राज्य' की जमीन भी तैयार कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक मुख्य रूप से धर्म के आधार पर अलग राज्य की मांग करने वाले इन लोगों की कमान इस्लामिक कट्टरवादियों के हाथ में है। पिछले लोकसभा चुनाव में वे अपनी एकजुटता का प्रमाण भी दे चुके हैं। असम के विभिन्न जिले में रह रहे बांग्लादेशी नागरिक अपनी अलग राज्य की मांग के लिए मजबूत करने के लिए स्थानीय अलवागवादी गुटों के कैडर के तौर भी शामिल हो रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक पूर्वोत्तर राज्यों में सक्रिय अलगाववादी गुटों और संगठनों को अब नई भर्ती के लिए स्थानीय लोग नहीं मिल रहे हैं। वे नई भर्ती के लिए ग्रामीण इलाकों से किशारों का अपहरण कर रहे हैं। इसके अलावा वे बांग्लादेश से अवैध रूप से आए युवाओं को अपने संगठनों में बड़े पैमाने पर शामिल कर रहे हैं। खासतौर पर उल्फा बांग्लादेश और भारत के मुस्लिम युवाओं की भर्ती कर रही है। आंतरिक सुरक्षा से जुड़े एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक असम के कई जिलों में बांग्लादेशी नागरिक निर्णायक स्थिति में हैं। स्थानीय चुनावों की बात तो अलग वे विधानसभा और लोकसभा चुनावों के परिणाम भी प्रमाणित कर रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान एक लोकसभा क्षेत्र में उनकी ताकत साफ दिखाई दी। इससे पहले करीब एक दर्जन विधानसभा क्षेत्रों से अपने प्रत्याशी चुनकर असम विधानसभा में भेज चुके हैं। उक्त अधिकारी के मुताबिक उल्फा और बोडों आंदोलन की उग्रता के कारण बांग्लादेशी नागरिकों की यह मुहिम अभी सुर्खियों में नहीं है। लेकिन वह लम्बे समय से इसकी तैयारी कर रहे हैं। गोरखालैंड के लिए हो रहे उग्र आंदोलन ने उन्हें और भी प्रोत्साहित किया है। पूर्वोत्तर के अलगाववादी गुटों को बांग्लादेश से पूरी मदद मिलती है। उल्फा के ट्रेनिंग कैम्प तो बांग्लादेश में ही चल रहे हैं। उल्फा का मुखिया बांग्लादेश में रह कर ही अपनी गतिविधियां चला रहा है। बांग्लादेशी युवा पूर्वोत्तर में सक्रिय अलगाववादी गुटों में एक सुनियोजित रणनीति के तहत शामिल हो रह हैं। आगे चलकर बांग्लादेशी मूल के लोग जब अपने लिए 'होम लैंड' की मांग करें तो अन्य संगठनों का उन्हें सहयोग मिले। उनकी इस मुहिम में आईएसआई तो साथ है ही हूजी और लश्करे तैयबा जैसे आतंकी संगठन भी मदद कर रहे हैं।
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