भाई का बहन के प्रति पवित्र प्यार का प्रतीक है रक्षाबंधन


5 अगस्त। भाई-बहिन का पवित्र रिश्ता रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाए जाने वाला विशेष त्यौहार है। सावन में मनाए जाने के चलते इसे "सावनी" सा "सलूनो" भी कहते है। श्रावण नक्षत्र में बांधा गया रक्षासूत्र अमरता निडरता, स्वाभिमान, कीर्ति, उत्साह एवं स्फूर्ति प्रदान करने वाला होता है। पौराणिक काल में तो पत्नी भी अपने पति के सौभाग्य के लिए रक्षासूत्र बांघा करती थी, लेकिन परंपरा बदलते-बदलते इसकी सार्थकता भाई-बहन के रिश्तों में सिमट गई। भाई का बहन के प्रति पवित्र प्यार का प्रतीक है रक्षाबंधन। हमारी भावनात्मक एकता तथा सामाजिक पवित्रता का त्यौहार है रक्षाबंघन।

रक्षा बंधन का श्रेष्ठ मुहूर्त:-
शाम 5.14 से 7.08 बजे के बीच तक ही श्रावणी कर्म करना शास्त्र सम्मत है, और इसी दौरान यानी 1 घंटा 54 मिनट तक ही राखी बांधने का श्रेष्ठ समय रहेगा
इस बार रक्षाबंधन बुधवार 5 अगस्त को मनाया जाएगा। रक्षाबंघन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे ज्यादा महत्व है। राखी कच्चो घागे जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी घागे तथा सोने या चांदी जैसी महंगी वस्तु तक की हो सकती है। बहनें अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करते हुए उसकी कलाई पर राखी बांघती है। कभी-कभी सार्वजनिक रूप से किसी नेता या प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी राखी बांघी जाती है। आजकल पर्यावरण संरक्षण के लिए पेडों को राखी बांघने का ट्रेंड भी शुरू हो गया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य भी परस्पर भाईचारे के लिए एक-दूसरे को भगवा रंग की राखी बांघते है।



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