कहानी -ठग का ग्रास
मक्का शरीफ की तीर्थयात्रा के लिए जब दो शहरी चलने लगे तो एक देहाती भी उनके साथ चलने के लिए तैयार हो गया। चलते समय तीनों ने आपस में समझौता
किया कि मक्का पहुंचने तक खाने-पीने के सामान को बांट कर खाएंगे। धीरे-धीरे खाद्य सामग्री कम होती चली गई और अंत में इतनी कम पड़ गई कि उनके पास थोड़े से आटे के अलावा कुछ न बचा।
यह देखकर शहरियों ने एक दूसरे से कहा, हमारे पास बहुत कम आटा बचा है। हमारा देहाती साथी अधिक खाता है। ऐसा क्या करें कि वह आगे कोई रोटी न खा सके। उन्होंने परामर्श किया कि आटे की रोटी बना लेते हैं और फिर सो जाते हैं। और जो भी उस समय की अद्भुत चीज का स्वप्न देखेगा, वह रोटी खा लेगा। उन्होंने भोलेभाले देहाती को धोखा देने के लिए ऐसा सोचा था, परंतु यह भी सत्य था कि देहाती की भूख उन दोनों की भूख से अधिक थी और बंटवारे में मिले अपने हिस्से का भोजन खाकर भी वह भूखा ही रह जाता था। दोनों शहरियों ने एक मोटी रोटी बनाई और पकने के लिए रखकर वे गहरी नींद में सो गए। देहाती ने उनके विश्वासघात को भांप लिया था। वह आधी रात को उठा और आधी पकी रोटी खाकर सो गया।
एक शहरी जगा और उसने दूसरे साथी को आवाज दी। दूसरे ने जागकर पूछा, क्या हुआ। पहले शहरी ने कहा कि मुझे एक अद्भुत दृश्य दिखाई दिया। ऐसा लगा कि दो फरिश्तों ने स्वर्ग के द्वार खोले और मुझे ले जाकर परमात्मा के सामने खड़ा कर दिया। यह सुनकर उसके साथी ने कहा कि यह दृश्य अद्भुत है, परंतु मैंने देखा कि दो फरिश्तों ने मुझे पकड़ लिया और पृथ्वी को तोड़ते हुए मुझे नरक में ले गए।
देहाती ने दोनों की बातें सुनीं परंतु सोने का बहाना किए हुए लेटा रहा। शहरियों ने उसे जगाने के लिए आवाज दी। उसने हैरानी से पूछा, तुम कौन हो जो मुझे आवाज दे रहे हो। हम तुम्हारे साथी हैं, शहरियों ने उत्तर दिया। क्या तुम लौट आए हो, देहाती ने पूछा। तुम कहां से हमारे लौटने की बात कर रहे हो, उन्होंने पूछा। देहाती ने उत्तर दिया कि मैंने तो देखा कि दो फरिश्ते तुम दोनों में से एक को स्वर्ग में ले गए और दूसरे को नरक में। यह देखकर कि तुम दोनों अब नहीं लौटोगे, मैं उठा और रोटी खा गया। अब शहरी अपनी चतुराई पर आह ही पछता रहे थे।
(स्पेनिश कहानी)
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