गौवंश बचाने संघ का नया मॉडल
भोपाल: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का मानना है कि गौवंश को बचाने में कानून बेअसर साबित हो रहा है। संघ की ताजा कोशिश भाजपा शासित राज्यों में एक नया आर्थिक आधार खड़ा करने की है, जिसके जरिए गाय-बैल को गांवों में बचाया जा सके। इसके लिए संघ के गौरक्षा विभाग के प्रतिनिधि अपनी सरकारों के मुख्यमंत्रियों से संपर्क कर रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार संघ के प्रतिनिधि पिछले दिनों छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमनसिंह से मिले और अब मप्र में शिवराज सिंह चौहान से मिलने वाले हैं। गौरक्षा विभाग के राष्ट्रीय प्रमुख ओमप्रकाश की पहल पर एक नई योजना के साथ भाजपा शासित राज्यों में नए प्रयोग की तैयारी है। संघ उत्तरप्रदेश के मॉडल पर ऐसी लघु औद्योगिक इकाइयां स्थापित करना चाहता है, जो गोबर और गोमूत्र से उत्पाद तैयार कर रही हैं। फिलहाल ये उद्योग आगरा, मथुरा, मेरठ, कानपुर और वाराणसी में संचालित हैं, जहां गोबर के इस्तेमाल से प्लायवुड का विकल्प, टाइल्स, प्रतिमाएं, कागज और थैलियां तैयार की जा रही हैं।
इन उत्पादों में करों में रियायत की मांग की जा रही है। गाय पर केंद्रित पाठ्यक्रमों व शोध के लिए भी संघ ने एक खाका तैयार किया है। छत्तीसगढ़ में शोध केंद्र और कामधेनु विश्वविद्यालय की स्थापना पर श्री रमनसिंह से चर्चा की जा चुकी है। कानून से निराश संघ-मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, गुजरात व हिमाचल प्रदेश में गौवंश की रक्षा के लिए कानून बने। लेकिन संघ का अनुभव यह है कि इन राज्यों में इस कानून की हालत भी दूसरे बेअसर कानूनों जैसी हो रही है। ट्रेक्टरों के बढ़ते इस्तेमाल ने गांवों से बैलों की जोड़ियां गायब कर दी हैं और गाय सिर्फ दूध के सहारे बहुत फायदेमंद नहीं रही है। ऐसी हालत में संघ में नए सिरे से ंिचंता शुरू हो गई है।
शोध परियोजनाएं भी जारी-गौरक्षा विभाग के इस काम में भाजपा का गौसेवा प्रकोष्ठ भी हाथ बंटा रहा है। प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष आलोक भार्गव ने बताया कि गोमूत्र के औषधीय गुणों पर आधारित शोध परियोजनाओं पर काम जारी है। सागर के डॉ. हरिसिंह गौड़ विवि व भोपाल के जवाहरलाल नेहरू कैंसर अस्पताल एवं शोध केंद्र में इसकी एंटी कैंसर एक्टिविटी पर शोध किया जा रहा है। प्रकोष्ठ की कोशिश गांवों में चरनोई की भूमि सुरक्षित करने की भी है। इसके लिए सरकार के स्तर पर पहल की जा रही है।
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