राम व रामायण के प्रति छलका प्रेम


अयोध्या: भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद एवं अक्षरम् के संयुक्त तत्वावधान में यूरोपीय देशों से भारत भ्रमण पर आये हिन्दी साहित्य के विद्यार्थियों में राम, रामायण व रामलीला सहित भारतीय धर्म-संस्कृति के प्रति गहरा लगाव दिखाई पड़ा। इस दल ने अयोध्या के अधिग्रहीत परिसर स्थित अस्थायी मंदिर में विराजमान रामलला का दर्शन किया। वे हनुमानगढ़ी, कनक भवन, तुलसी स्मारक भवन, कार्यशाला में राममंदिर निर्माण के लिए तराशे जा रहे पत्थर, कारसेवकपुरम व वाल्मीकि रामायण भवन भी देखने गए।

दल में मानसी भामू, शर्वरी खापरे तथा एकता मारवाह सभी [ब्रिटेन], अनास्तासिया अनातोलियाना ग्रिनेवा, पावेल जेनादियेविच, कात्या माक्सीमवा तथा कात्या [रूस], बांदी चिला तथा उर्सु इयोना अलीना [जार्जिया, रोमानिया], डेविड क्रिस्टीना [हंगरी] तथा वान्या स्टेफेनेक [क्रोएशिया] शामिल हैं। दल का नेतृत्व अक्षरम् दिल्ली के नारायण कुमार, आरपी त्रिपाठी तथा सरोज शर्मा कर रहे थे।
दल के सदस्य अयोध्या शोध संस्थान की ओर से अनवरत चल रही रामलीला में अशोक वाटिका प्रसंग देख कर भाव-विभोर हो गए। उन्होंने अयोध्या शोध संस्थान की कला-वीथिका में रखीं श्रीराम से जुड़ी कलाकृतियों व तैलचित्रों को भी देखा। संस्थान के पुस्तकालय में आयोजित कार्यक्रम में रूसी छात्रा पावेल जेनादियेविच बोरीसोव ने 'सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा' के जरिये भारत के प्रति अपनी भावनाओं को प्रकट किया। उन्होंने कहा कि वे बार-बार भारत आना चाहेंगी। ब्रिटेन की छात्रा एकता मारवाह ने कहा कि उन्हें हिन्दी नहीं आती तो वे हिन्दुस्तानी दादी से कैसे बात कर पातीं। रूसी छात्र अनास्तासिया अनातोलियाना ग्रिनेवा ने गीता के श्लोक सुनाकर सभी का मन मोह लिया। मासनी भामू, शर्वरी खापे व वान्या ने हिन्दी गीत सुनाया और हंगरी की छात्रा डेविड क्रिस्टीना ने सूर्यास्त पर आधारित कविता 'वह मेघमय आसमान से उतर रही है' सुनाकर लोगों को अभिभूत कर दिया।


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