जीवन गीत का साज है गुरु

दुर्ग: श्री योग वेदांत सेवा समिति ट्रस्ट भिलाई-दुर्ग ने बेलौदी आश्रम में कार्यक्रम आयोजित किया। सुबह गुरु प्रार्थना, आसारामायण पाठ, ध्यान व भजन संध्या किया गया। अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय सह संचालक रामदत्त चक्रधर ने कहा कि हमारे ऋषियों ने प्राचीन काल से ही इस पर्व को प्रारंभ किया है। मोक्ष प्राप्त करने के लिए गुरुही प्रमुख माध्यम हैं।
वर्तमान में भारत की स्थिति चुनौतीपूर्ण है। केबिनेट मंत्री हेमचंद यादव ने कहा कि गुरुका पद अतिमहत्वपूर्ण होता है। गुरुऐसा होना चाहिए कि शिष्य से कुछ न ले और शिष्य ऐसा हो जो गुरू से सब कुछ ले। अगर ये भावना सभी में रहे तो धरती स्वर्ग बन जाए। अतिथियों ने पौधारोपण भी किया। समिति ने अतिथियों को शाल, श्रीफल व साहित्य भेंट किया। जेएन पांडे, नितीश चंद्राकर, विजय अग्रवाल मौजूद थे।
गायत्री प्रज्ञापीठ पुलगांव में यज्ञ, दीपदान व दीक्षा संस्कार संपन्न कराया गया। अध्यक्ष हरिशंकर उजाला ने कहा कि गुरु ज्ञान कर्मकांड से ऊपर है। यह गुरुकृपा से किसी किसी को प्राप्त होता है। जगदीश अग्रवाल, गयाराम पाठकर, कलीराम यादव, द्रौपदी वर्मा ने दीपदान पर गुरुदेव को पुष्पांजलि गीत प्रस्तुत किया।

दिगंबर जैन पंचायत मंदिर में आचार्य विमद सागर महाराज ने समाज के लोगों को गुरु पूर्णिमा का महत्व समझाया। उन्होंने कहा कि हर गीत में साज होता है और हर वाक्य में राज। ये गुरुही है जिससे बिगड़ी तस्वीर सम्हल जाए। गुरु पूर्णिमा में गुरुका आशीर्वाद मिल जाए तो इसका महत्व ही बढ़ जाता है।

सरस्वती शिशु मंदिर कसारीडीह में आयोजित कार्यक्रम में शिक्षा समिति ने आचार्यो को गणवेश प्रदान कर सम्मानित किया।

महामृत्युंजय मंदिर आदर्शनगर में सुबह श्रद्धालुओं ने महामृत्युंजय भगवान का अभिषेक किया। पूजा अर्चना के साथ भोग लगाकर मंगल आरती की। पुजारी लक्ष्मीनारायण द्विवेदी ने पूजा संपन्न कराई। मंदिर परिसर में पौधारोपण किया गया। जीपी चंद्राकर, जेएल भारद्वाज, सीताराम स्वर्णकार, संतराम चंद्राकर, जीएन सिंह, कमलेश सहित बड़ी संख्या में भक्तों ने भजन कीर्तन किया।
सरस्वती शिशु मंदिर कसारीडीह में आयोजित कार्यक्रम में शिक्षा समिति ने आचार्यो को गणवेश प्रदान कर सम्मानित किया। मुख्य अतिथि रामदत्त चक्रधर ने कहा कि गुरुपूर्णिमा उत्सव व्यास पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। आज गुरुकी महिमा उसकी गुरुत्व के कारण ही है। आचार्य महेशचंद्र शर्मा ने कहा कि महर्षि वेदव्यास ने वेदों को विभाजित कर उसे ज्ञान के प्रकाश से प्रकाशित किया। गुरु के रूप में माता-पिता अज्ञान रूपी अंधकार को ज्ञान रूपी प्रकाश से प्रकाशित करने वाले गुरुहै। संचालन गौरव बनाफर ने किया। प्रहलाद मंघनाणी, श्यामसुंदर खंडेलवाल, शैलेंद्र डोटे, रामकुमार वर्मा, कर्णपाल सिंह, कृपा शर्मा, हरिकांत पाटिल मौजूद थे.
साभार - दैनिक भास्कर

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