भाजपा को संघ ने थमाया भविष्य का एजेंडा


नई दिल्ली । भाजपा में भले ही नेतृत्व व वर्चस्व को लेकर घमासान मचा हो, लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एजेंडा साफ है। संघ ने अपनी कमान बदलने के साथ भाजपा को भी भविष्य का नेतृत्व गढ़ने का एजेंडा थमा दिया है। उसने साफ कर दिया है कि भाजपा केवल युवाओं की बात न करे, बल्कि उनको सामने लेकर आए और अपने मूल मुद्दों से कतई न भटके। लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा व भविष्य की रणनीति के लिए अगले माह होने वाली चिंतन बैठक में पार्टी का मंथन इन्हीं दोनों बिंदुओं को केंद्र में रखकर होगा।

संघ का मानना है कि भाजपा को अब फिर से छूटी हुई राह पकड़नी होगी।

लोकसभा चुनाव में हार के बाद जब भाजपा घमासान थामने के बजाए चिठ्ठियों की नई राजनीति में उलझी हुई थी तब संघ भाजपा की चिंता में डूबा हुआ था। सूत्रों के अनुसार उसकी एक तीन सदस्यीय समिति ने भाजपा की ताकत व कमियों का आकलन किया। इस समिति के निष्कर्ष भाजपा के दोनों शीर्ष नेताओं को बता भी दिए गए हैं। यह माना गया है कि भाजपा की यह दुर्दशा भटकाव के कारण हुई है। जिन मुद्दों पर उसने जनता में अपनी पैठ बनाई थी, वह उनसे भाग खड़ी हुई। मसलन उसके हिंदुत्व के एजेंडे को जनता को स्वीकृति तब मिली जब उसके मूल में राम मंदिर था। इसी तरह सुशासन व शुचिता से जनता तब तक प्रभावित थी, जब तक ईमानदारी थी। भ्रष्टाचार के किस्से सामने आने के बाद ईमानदारी की रट लगाने से उलटा असर हुआ।
संघ का मानना है कि भाजपा को अब फिर से छूटी हुई राह पकड़नी होगी। उसे पिछली सदी के नब्बे के दशक की तरफ लौटना पड़ेगा। अपने मूल मुद्दों पर कायम रहना होगा और युवाओं को आगे लाना होगा। ठीक उसी तरह जैसे लालकृष्ण आडवाणी ने प्रमोद महाजन, सुषमा स्वराज, वेंकैया नायडू, नरेंद्र मोदी, गोविंदाचार्य जैसे युवा चेहरों कों राष्ट्रीय राजनीति में ऊपर लाकर स्थापित किया था।
साभार - दैनिक जागरण [रामनारायण श्रीवास्तव]


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