ईसाईयो का असली चेहरा |
यह सर्वविदित है की वनवासी इलाको में किसी हिंसा को हिंदू समाज की कट्टरता के रूप में देखा गया है लेकिन वास्तव में यह एक भ्रामक स्थिति धर्मान्तरण के द्वारा हिंदू और ईसाईयो के मध्य कटुता फैलाने से हुई है | ईसाई धर्म प्रचारकों द्वारा जबरदस्ती वनवासी बंधुओ का धर्म परिवर्तन किया जाता है उनको पैसे का प्रलोभन दिया जाता है | मुख्य बात यह है की ईसाई समझते है की उनका पूरे दुनिया में प्रसार सिर्फ़ एक ही माध्यम से हो सकता है और वो है धर्मान्तरण | पुरे भारत में एक सड़यन्त्र चल रहा है जो हमारे भारत के पूरब से बढ़ता जा रहा है मणिपुर, मेघालय, त्रिपुरा, उडीसा, और झारखण्ड इन राज्यों में पूरी तरह से ईसाई मिसनरियो का काम चालू है ये उन जगहों में जाते है जहाँ के लोग कम पढ़े लिखे होते है या बिल्कुल ही नही पढ़े लिखे नही होते है, जहाँ के लोग गरीब है, इनका काम वहां चलता है, गरीबो को प्रलोभन देकर धर्मान्तरण करते है अगर उनसे काम नही चलता है तो उनकी सेवा करते है और क्रॉस के आगे प्राथना करने को कहते है और अगर कोई इससे ठीक हो जाता है तो उनको प्रभु का चमत्कार कहते है क्या है ये ?, और धर्मान्तरण कराने वाले लोग काफी पढ़े लिखे होते है काफी संपन्न होते है मेरे मन में एक सवाल उठता है की कोई भी विदेशी वैसे इलाको में क्यों जाएगा जहाँ के लोग गरीब है अनपढ़ है, इसमे एक बात सामने आती है की उनको विदेशो से भारी मात्रा में धन मिलता होगा | मेरे संपर्क में एक हिंदू परिवार है जो कई दिन पहले ईसाई बन गया था और अभी भी ईसाई है जिनका नाम पहले कृष्णा था मैं उनका पूरा नाम मैं नही बता रहा हूँ अब उनका नाम हो गया है कृष्णा मसीह | मतलब साफ़ है वैसे हो लोगो को ये धर्म परिवर्तन करते है जो आर्थिक रूप से कमजोर है या जिनके सोचने समझने की सकती थोडी कम होती है क्यों ये अपना काम शहरों में नही करते है इसलिए की ये यहाँ पकड़े जायेंगे प्रारम्भ से ही ईसाई की मान्यता थी की धर्म का प्रचार-प्रसार और धर्मान्तरण से ही किसी को अपने धर्म में शामिल किया जा सकता है मगर कुछ ऐसे संगठन और संस्था आगे आगे है जो पुनः ईसाई धर्म में शामिल हो गए लोगो को उनके पुराने धर्म में वापस ला रहे है | ऐसा काम करने वाले संगठन अपना काम बगैर किसी लालच के करते है कुछ समाचार पत्रों में इनका जिक्र है जिसे मैंने अपने ब्लॉग पर पहले है प्रकाशित किया था और अधिक जानने के लिए यहाँ क्लिक करे |
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