मुस्लिम तुस्टीकरण की नीति के सन्दर्भ में भारत की आतंरिक नीति- आलेख - कन्हैया दुबे

देश आजादी के पश्चात भारत के विभिन् राजनीतियों खासकर कांग्रेस व कमुनिस्ट पार्टियों के नेताओ ने जिस तरह पूरे देश में मुसलमानों को लेकर छदम धर्म निरपेक्षता की गन्दी राजनीती की है उससे भारत के अखंडता की सुरक्षा शक के घेरे आ गई है | पंडित नेहरू ने कश्मीर में ३७० धारा लगाकर उसे एक विशेष राज्य का दर्जा देकर अपने जीवन की सबसे बड़ी गलती जानबूझ कर की | इस धारा के लागू होने के बाद पूरे भारत के विभिन्न राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशो से लोग कश्मीर घुमने आ सकते है, लेकिन वहां बस नही सकते | इस नीति का फ़ायदा तत्कालीन नेता फारुख अब्दुल्ला एवं उसका बेटा उमर अब्दुल्ला ने बखूबी उठाया | इसके साथ ही कई और राजनैतिक और धार्मिक एवं कट्टर इस्लामिद आतंकवादी गुटों ने भी इस नीति का जमकर दुरुपयोग किया | वे लोग जानते थे की कश्मीर में भारत के अन्य प्रान्तों से आए लोग स्थाई रूप से बस नही सकते, इसलिए उन्होंने कश्मीर में हिन्दुओ के विरुद्ध कत्ल-ऐ-आम करने का शाजिश सुनियोजित ढंग से बुनना शुरू किया | चुकी पहले वहां कश्मीरी पंडितो की संख्या बहित जयादा थी | वे बौधिक एवं सांस्कृतिक रूप से बहुत धनी थे | वे ज्यादातर सरकारी नौकरी करते थे, कुछेक अपना निजी व्यवसाय चलाते थे तो कुछ के पास बड़ी - बड़ी फलो के बागीचे एवं खेत थे | लेकिन फारुख अब्दुल्ला के मुख्मंत्री बनते ही उन्होंने कश्मीरी पंडितो को सरकारी नौकरी में आने के रास्ते बंद कर दिए | इसके बाद शुरु हुआ इस्लामी कट्टरवाद का नंगा नाच | चुन - चुन कर कश्मीरी पंडितो को मारना एवं उसकी बहु - बेटियो की इज्जत से खेलना उसके बाद उनकी सम्पति मसलन फलो के बाग़, खेती, घर इत्यादि कब्जा करना शुरु किया शरीर के एक एक रोम में ठिठुरन पैदा कर देने वाली ये घृणित कार्य तब तक चलता है, जब तक पुरी घटी से हिन्दुओ एवं उसकी निशानी को समाप्त न कर दिया गया हो | घटी तो हिन्दुओ के भीड़ से मुक्त हो गई, और अब उनके निशाने पर जम्मू है | जहाँ आज भी पाकिस्तानी आतंकवादी गुटों, कश्मीरी, आतंकवादी गुटों एवं कुछ राजनितिक दलों के संरक्षण से हिन्दुओ को टारगेट किया जा रहा है | दुःख की बात है की, भारत के लगभग सभी प्रधानमंत्री ने इस और सच्चाई के साथ तत्परता से कारवाही नही किया | पर सिर्फ़ जम्मू - कश्मीर की बात ही नही है, पूरे भारत में मुसलमानों के ऊपर खास धयान दिया जा रहा है वर्तमान में केन्द्र की U.P.A सरकार तो मुसलमानों से ऐसा बर्ताव कर रही है | जैसे मानो पूरे देश में सिर्फ़ मुसलमानों ने ही वोट देकर उन्हें दिल्ली बैठाया है | दिल्ली में इस्लामिक सेंटर का उदघाटन सोनिया गाँधी के द्वारा होता है | इसके बाद अलीगढ अल्प संख्यक विश्वविद्यालय को अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के रूप में बदल दिया गया | एक तरफ़ देश में जहाँ कुछ गिने चुने ही संस्कृत विश्वविद्यालय है, तो वही दूसरी और देश में उर्दू विश्वविद्यालय, उर्दू कॉलेज एवं मदरसों की कोई कमी नही है |
आलेख - कन्हैया दुबे

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