देश विकाश कर रहा है या "आतंकवाद" सोचिये |
हमें मालुम है की भारत एक लोकतान्त्रिक देश है फ़िर भी अगर लोकतंत्र की सबसे ज्यादा धज्जिया जितनी भारत के लोग और नेता उड़ते है शायद ही कही और किसी देश में देखने को मिलती होगी आज इतनी तेजी से भारत में पैर पसर रहा है जैसे बॉस के पेड़ बड़े होते है पहले आतंकवाद सिर्फ़ जम्मू और कश्मीर को ही अपना निशाना बनते थे लेकिन आज देश की राजधानी दिल्ली हो या आईटी सिटी बंगलोर या पूरब में गुवाहाटी या पश्चिम में सूरत या मुंबई हम सहरो के नाम गिनाते गिनाते थक जायेंगे ये ही आतंकवाद है जिसे मुकाबले करने में केन्द्र सरकार के पसीने छुट रहे है बोल तो ऐसे देते है की लगता है ये आम बात हो, एक छोटा सा देश जिसे भारत ने ही ऑपरेशन से निकला है आज हमें चुनौती दे रहा है सीधे सामने आकर नही बल्कि पीठ के पीछे से वार कर रहा है हमारे जवान जो बंगलादेश के सीमा पर देश की रखवाली करते है उनका अपहरण कर उनकी हत्या कर दी जाती है पाकिस्तान जानता है की भारत से वह कभी नही जीत सकता है इसलिए तो आतंकवाद का सहारा लिए हुए है और इसी रहा पर बंगलादेश चल रहा है आज कर रही है केन्द्र सरकार क्यों कठोर कदम नही उठती है ये इस्थिति अगर अमरीका में होती तो वो कब तक चढाई कर दिया होता हम क्यों हाथ में हाथ धरे बीते है जबकि हमें सबकुछ मालूम है मीडिया में भी आ रहा है की ये बंगलादेशी गुस्पैठिये ही कर रहे है मेरे मन में एक सवाल बार बार आता है आज यही कांग्रेस की सरकार है जिसमे सरदार वल्लभ भाई पटेल और इन्द्र गाँधी जैसे नेते हुआ करते थे बात ज्यादा पुरानी नही है जब पंजाब में आतंकवाद पैर पसार रहा था और जब आतंकी स्वर्ण मन्दिर में छुपे थे तो इंदिरा गाँधी ने ही आदेश दिया था की मन्दिर में सेना भेजा जाए इतना कठोर कदम उठा कर आतंकवाद को मुह तोड़ जवाब दिया था और इसी कारण इंदिरा गाँधी को अपनी जान गवानी पड़ी थी आज भी देर नही हुई है नही तो आने वाले समय में हम भारत को सिकुड़ते हुहे देखेंगे नक्सली रेड कोरिडोर बना रहे है और आतंकी ग्रीन कोरिडोर ये भारत हमारा है और इसके बारे में हम नही सोचेंगे तो कौन सोचेगा |
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