परमाणु करार से किसका हित होगा ? (लेखक - विनय जी)
बुश की प्रसंसा का मतलब है भारत सरकार अपने देश के हितों की रक्षा के बजाय अमेरिका के हितों की रक्षा कर रही है | हिन्दी के प्रसिद्ध ब्यंगकार श्री हरिशंकर पारसी की एक कहानी है | पारसी उसमे कहते है यदि दुकानदार किसी ग्राहक की प्रसंसा करना सुरु कर दे तो ग्राहक को चौकन्ना हो जन चाहिए | इस प्रसंसा का अर्थ केवल इतना ही है की दुकानदार ग्राहक को लुट रहा है, लेकिन ग्रख फ़िर भी चुप है | इसलिए दुकानदार की नजर में वह ग्राहक प्रसंसनीय है | इसी तर्ज पर कहा जा सकता है की यदि अमेरिका किसी दुएसरे देश की सरकार की प्रसंसा करना सुरु कर दे तो उस देश के लोगो को सचेत हो जन चाहिए | अमेरिका की प्रसंसा का अर्थ यह है की जिश देश की सरकार की वह प्रसंसा कर रहा है वह सरकार अपने देश के हितों की रक्षा के बजाय अमेरिका के हितों की रक्षा कर रही है इन दिनों अमेरिका हमारे देश के प्रधानमंत्री और युपिऐ अध्यक्ष सोनिया गाँधी सरकार की दिल खोल कर प्रसंसा कर रही है | बुश का कहना है की मनमोहन सिंह की सरकार अमेरिका के साथ परमाणु समझोता करके एक इतिहास बना रही है | बुश ही नही अमेरिका की कमान सँभालने वाले "बराक ओबामा" भी इस सरकार की प्रसंसा करते नही थकते | परमाणु करार होना चाहिए, इसकी चिंता भारत से जायदा अमेरिका को है | दिल्ली में अमेरिका के राजदूत ने तो अलग-अलग राजनैतिक डालो के नेताओ को मिलकर करार के फायदे समझाने की कोशिस करते नजर आ रहे थे कुछ नेताओ ने इसे समझने की कोशिस में अमेरिका तक का चक्कर लगा लिए. अमेरिका जाते है करार के हा में हा मिलान सुरु कर देते थे अमेरिका ये परमाणु करार तब से करना चाहता है जब भावी प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई ने भारत को परमाणु वाला देश बना दिया था लेकिन पता नही भारत क्यों अमेरिका का पिछलगू बन रहा है | भारत अमेरिका १२३ परमाणु करार मूलतः अमेरिका की इसी साजिश का हिसा है इस करार के मध्यम से भारत का पुरा सिविल परमाणु कार्यक्रम अमेरिका का बनकर रहा जाएगा और सामरिक अनविक कार्यक्रम अमेरिका के देख रेख में चलेगा | भारत ने अमेरिका के हाथो में परमाणु का झुनझुना पाकर दिया है इसे वे बजाते हुए पुरे देश में घूम रहे है | भारत में जाने मने विज्ञानिक को इसकी जिम्मेदारी न सौपकर सौपकर सरकारी नौकर सही को सौप रही है | हमारी सरकार एक दुसरे की पीठ थपथपा रही है
आगे जारी है ......... (अपने राय दे )
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