संस्कृत के गौरव से अभिभूत अनिल कुम्बले
आज दिनांक 6.1.11 को प्रख्यात क्रिकेट खिलाड़ी अनिल कुम्बले ने बसवनगुड़ी, बेंगलुरू में आयोजित विश्व संस्कृत पुस्तक मेला के अन्तर्गत आयोजित ‘ज्ञानगंगा’ नामक पुस्तक प्रदर्शिनी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उनके साथ राज्य के शिक्षा मंत्राी विश्वेश्वर हेगडे, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एन. गोपालस्वामी भी उपस्थित थे। अपने उद्घाटन भाषण में अनिल कुम्बले ने संस्कृत की गरिमा के प्रति अपना लगाव व्यक्त करते हुए कहा ‘संस्कृत केवल भाषा नहीं, बल्कि सभी भाषाओं का मूल आधार है। अपने सीमित संस्कृत ज्ञान पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि वे संस्कृत को ठीक ढंग से सीखना चाहते हैं ताकि अगली बार अपना भाषण संस्कृत में कर सकें। उपरोक्त अवसर पर राज्य के शिक्षा मंत्राी विश्वेश्वर हेगडे ने संस्कृत ग्राम का उद्घाटन करते हुए उद्घाटन भाषण में प्राचीन भारतीय वैज्ञानिक परम्परा के सम्बन्ध में अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा ‘हमारे ऋषिमुनियों का प्राचीन वैज्ञानिक योगदान आजकल के विज्ञान से कम नहीं है। इस तरह की प्रदर्शनी भारत के गांव-गांव में हो जिससे युवा पीढ़ी इसके महत्त्व को समझते हुए संस्कृत के प्रचार और प्रसार में लगे। संस्कृत केवल कुछ ही लोगों की भाषा नहीं है, बल्कि वह एक संस्कृति है जो सभी भारतियों में दिखाई देती है।’ इस अवसर पर उन्होंने कर्णाटक सरकार द्वारा
संस्कृतविश्वविद्यालय की स्थापना की जानकारी देते हुए कहा कि ‘इस संस्कृत मेले का संदेश देश प्रत्येक विद्यालय और शिक्षण संस्थानों में पहुॅंचना चाहिए, जिससे जो संस्कृत की निंदा करते हैं उन्हें सही उत्तर मिले।’
उपरोक्त अवसर मुख्य अतिथि के रूप में पधारे भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एन. गोपालस्वामी ने अपने प्रास्ताविक भाषण में कहा ‘इस अद्वितीय कार्यक्रम को मूर्तरूप देने में संस्था संस्कृत भारती, संस्कृत अकादमी, भारत के संस्कृत विश्वविद्यालय और संस्कृतानुरागियों ने जो अथक
प्रयास किया है उसकी मंे हृदय से सराहना करता हूॅं और उन्हें इसकी सफलता के लिए बधाई देता हूॅं।’
इस कार्यक्रम का संचालन डा. रमाकान्त मिश्रा ने किया। अतिथियों का परिचय उज्जैन स्थित कालिदास अकादमी के अध्यक्ष परमेश्वर नारायण
शास्त्राी ने कराया। इस अवसर पर उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों में भूतपूर्व मुख्य न्यायाधीश डा. रामा जोइस भी उस्थित थे।
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