पेरू के राजनयिक शोध करेंगे आदि शंकराचार्य पर

कांचीपुरम : आदि शंकराचार्य की शिक्षा से प्रभावित भारत स्थित पेरू के एक राजनयिक ने आठवीं शताब्दी के इस महान वैदिक दार्शनिक पर कांची कामकोटि ट्रस्ट द्वारा संचालित विश्वविद्यालय में शोध करने का निर्णय किया है।नई दिल्ली स्थित पेरू उच्चायोग के मिशन उपप्रमुख कार्लोस ए इरीगोयन फार्नो ने इनाथुर के पास श्री चंद्रशेखरेन्द्र सरस्वती विश्व महाविद्यालय (सीएसवीएमवी) में आदि शंकराचार्य पर शोध के लिए आवेदन किया है। फोर्नो ने आवेदन में अपने आप को दक्षिणी अमेरिकी देश के इंकास कबीले का वंशज बताया है। फोर्नो ने कल प्रसिद्ध कामाक्षी अम्मान मंदिर की यात्रा की थी। उन्होंने कहा था कि वह पिछले 42 वर्षों से आदि शंकराचार्य से प्रभावित हैं। यह पूछे जाने पर कि किस कारण वह आदि शंकराचार्य से प्रभावित हैं, उन्होंने कहा कि 42 वर्ष पहले उन्होंने वेद व्यास लिखित महाभारत का फ्रेंच अनुवाद पढ़ा था और वह इससे काफी प्रभावित हुए। पेरू के आदिवासी बहुल क्षेत्र में इंकास कबीला और हिन्दू रीतियों में कई समानताओं का उल्लेख करते हुए फोर्नो ने कहा कि गरुड़ और साँप की पूजा करने के अलावा उनके कबीले की भी सूर्य और चंद्रमा में समान आस्था है। पेरू उच्चायोग के उपप्रमुख ने कहा कि विश्वविद्यालयों और व्यापार के आधार पर ही दोनों देशों के बीच संबंधों को अधिक मजबूत बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षाविदों और विचारों के आदान प्रदान में विश्वविद्यालय महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पेरू और भारत के बीच संबंधों के बारे में उन्होंने कहा कि पेरू सोने और चाँदी का प्रमुख उत्पादक देश है और वहाँ भारतीय आभूषणों और रेशम की साड़ियों की काफी माँग है।
साभार - वेबदुनिया.कॉम

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