सरकार का आत्मसमपर्ण

ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस की घटना हमें झकझोर कर देने वाली घटना है. सरकार कहती है कि वो नक्सलियों पर काबू करने का प्रयास कर रही है लेकिन नक्सली तो बेकाबू होते जा रहे हैं. और सरकार ने नक्सलियों के समझ आत्मसमर्पण कर दिया यह 'सरकार का आत्मसमर्पणÓ इसलिए है क्योंकि सरकार ने कहा है कि अब रात में ट्रेने नहीं चलेगी. मतलब साफ है कि नक्सलियों से डर गई है सरकार या कहें कि आत्मसमर्पण कर चुकी है. नक्सलवाद से निपटने के बजाय, इससे दूर भाग रही है. विकल्प खोजे जा रहे हैं. सरकार कायर हो गई है. नक्सलवाद बड़ा होता जा रहा है. हम और आप जितना सोचते हैं उससे कहीं बड़ा है यह नक्सलवाद. एक सच्चा आकंडा यह है कि जितने लोगों की मौत आतंकवादी घटनाओं में नहीं हुई है इससे ज्यादा नक्सली घटनाओं में हुई है. साल 2010 की बात की जाए मात्र 5 महीने ही बीते हैं 150 से ज्यादा जवान और 300 के लगभग आम लोगों की मौत हो गई है. अब गृहमंत्री को सिर्फ यह बोलने से काम नहीं चलेगा की नक्सलियों से सख्ती से निपटा जायेगा. बल्कि इससे  खत्म करके दिखाना होगा. अब तो लोगों को सरकार से भी भरोसा उठ गया है. तभी तो पटमदा जैसे गांवों के लोग खुद हाथ में तीर-कमान और कई पारम्परिक हथियार लेकर नक्सलियों से लोहा लेने को तैयार हैं. और समय आने पर ये अपनी रक्षा खुद करते भी हैं. पूरे झारखण्ड में 200 से भी ज्यादा स्टेशन नक्सलियों के टारगेट में हैं यहां कभी भी कोई भी बड़ी घटनाएं हो सकती है. पूरा का पूरा देश यह सवाल कर रहा है नक्सलवाद कब खत्म होगा. अभी खत्म नहीं किया गया तो हमें आगे जाकर हमें इनसे समझौता करना पड़ेगा. मन में एक सवाल कौंधता रहता है हमारे पास क्या नहीं है फिर भी हम लाचार हैं. जनता पिस रही है. सरकार बयानबाजी कर रही है. अगर अभी सेना को नहीं लगायी तो वो दिन दूर नहीं जब सेना भी कुछ नहीं कर पायेगी. देश के अंदर ही देशद्रोह फैला रहे हैं. बीजापुर का 200 गांव पूरी तरह खाली हो गया है. लोग गांव छोड़ कर जा रहे हैं. कारण ये है जब से दंतेवाड़ा की घटना हुई है. नक्सली अपने आप को ताकतवर समझने लगे हैं. बीजापुर के गांवों से प्रत्येक घर से एक 1 लड़का और 1 लड़की की मांग कर रहे हैं. इन गांवों में डर इतना व्याप्त हो गया है कि गांवों पूरा का पूरा गांव सूना पड़ा है. कोई देखने वाला नहीं है. अर्थ यहीं निकलता है कि हम किस समय का इंतजार कर रहे हैं. क्या इससे भी कोई बड़ी घटना का इंतजार करे. आज रेलगाड़ी, बस पर नेशनल हाइवे पर नक्सली बड़ी आसानी से हमला कर देते हैं. देर अभी भी नहीं हुई है आम जनता तो जनती है हमें क्या करना है लेकिन यह बात सरकार के कानों तक नहीं पहुंचती है. शायद अब जाग जाये हमारी सरकार.
चंदन कुमार
जमशेदपुर

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