कृषि मंत्री या खेल मंत्री - संदर्भ आईपीएल विवाद


आजकल तीन अक्षरों के नाम से प्रसिद्ध एक टूर्नामेंट ने देश को हिला कर रख दिया है. क्या नेता क्या अभिनेता सभी इसमें शामिल है. बात एक नेता की करते है वो न तो शशि थरूर जैसे छोटे नेता हैं और न केरल जैसे छोटे से राज्य से संबंध रखते हैं. हम बात कर रहे है शरद पवार की. जिनके पास पूरे भारत का पेट भरने की जिम्मेवारी है. कृषि मंत्री जो ठहरे. जितना ध्यान कृषि मंत्री खेल पर देते हैं उतना शायद ही कृषि पर भी देते हो. शरद पवार को उन लाखों किसानों की याद नहीं आती जिन्होंने इसलिए खुदखुशी की क्योंकि सरकारी नीतियों ने उन्हें कर्जदार बनाया और उनकी सरकार ने उनके कृषि मंत्री ने उनकी परवाह नहीं की. ये इस देश में ही संभव है. लाखो-लाख किसानों की खुदखुशी को भुलाकर कृषि मंत्री आईपीएल के विवाद में इस तरह फंसे हुए है कि कैमरे की भीड़ में उनका चेहरा तक नजर नहीं आता है. हमने कभी कृषि मंत्री को किसानों से घिरे हुए नहीं देखा. हमारे कृषि मंत्री का दो चेहरा है एक चेहरा सुपरहिट है तो दूसरा चेहरा सुपर फ्लॉप है. शरद पवार का हिट चेहरा है बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड) के अध्यक्ष का, जिसमें धन तो अपार है और शोहरत की कमी नहीं. आज बीसीसीआई पूरी दूनिया का सबसे मुनाफे वाली खेल संस्था है. यह संस्था आज तक घाटे में नहीं गयी. और यही शरद पवार यानि कृषि मंत्री है जिनकी ओर पूरे भारत के किसान मुंह ताकते खड़ी है कि कहीं कोई योजना कृषि को उबारने के लिए हमारे कृषि मंत्री बनाएं. जितना शरद पवार खेल के लिए करते है उतना कृषि के लिए क्यों नहीं करते. शायद इसलिए की किसान गरीब हैं आज तक कोई किसान ललित मोदी जैसा नहीं हुआ. शरद पवार को अपने देश के किसानों से कोई मतलब नहीं है. आम जनता की बात करे तो इस बात से इत्तेफाक नहीं रखती कि देश का किसान किन हालातों में अन्न उपजा रहा है. देश की जनता को तो बस पेट भर खाना मिल जाए बस और क्या जेब में आईपीएल देखने के लिए तो पैसा है ही.
कभी कभी मन में एक सवाल उठता है कि शायद शरद पवार को कृषि मंत्री से ज्यादा मजा क्रिकेट की अध्यक्षी में आता है. महंगाई बढ़ रही है तो शरद पवार बीच-बीच में ऐसा बाण मार देते हैं कि महंगाई और बढ़ जाती है. आईपीएल मैच रात के समय हो रहे है. रात के समय पूरा का स्टेडियम ऐसा जगमगाता है मानो दिन हो गया हो. कभी शरद पवार ने किसानों के घर जाकर देखा है कि वो किस माहौल में जी रहे हैं आज भी किसानों को बिजली नहीं पहुंची है. जितना पैसा स्टेडियम की बिजली पर खर्च होता है उससे एक गांव रौशन हो सकता है. आप मैच दिन में क्यों नहीं कराते.
मुद्दे से भटकने का हमारा कोई इरादा नहीं है हमने सुना है कि सरकार किसानों को बीपीएल कार्ड दे रही है फायदा क्या होगा. बीपीएल कार्ड से ज्यादा तो पूरे देश में आईपीएल कार्ड है अर्थात आईपीएल टिकट है. मुझे लगता है इस आईपीएल-3 में जितने टिकट बिके है उतने किसानों के पास बीपीएल कार्ड नहीं होंगे. महंगाई के लिए सरकार यानि पवार सरीखे मेंत्री उत्पादन क्षमता को जिम्मेवार ठहराते हैं. एक तरह से यह बयान किसानों के लिए गाली देने के समान है. आज भी भारत कृषि के लिए मानसून पर निर्भर है. सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं है. तो किसान उत्पादन कैसे करेगा. भई यह आईपीएल तो नहीं है ना जो कहीं भी खेला जा सके चाहे दक्षिण अफ्रिका में ही क्यों ना हो. आईपीएल में धन तो वहां भी पैदा होता है और यहां भी पैदा होगा. हम भूल जाते हैं कि यह भारत है जो समस्याओं से लड़कर विकास के पथ पर बढ़ रहा है. कृषि मंत्री शरद पवार जब तक कृषि मंत्री है और बीसीसीआई अध्यक्ष है तब तक जान लिजिए सिर्फ क्रिकेट का ही विकास होगा किसानों का नहीं.
-चंदन कुमार साहू
संपादक


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