इस्लाम की आलोचना हो सकती है, पर...
बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को व्यवस्था दी कि इस्लाम या किसी अन्य धर्म की आलोचना की जा सकती है, लेकिन दुर्भावना से प्रेरित होकर सांप्रदायिक नफरत को भड़काने और पूरे समुदाय को अधम निरूपित करने के लिए आलोचना की इजाजत नहीं दी जा सकती।
कुरान की आयतों की व्याख्या करने से इनकार करते हुए अदालत ने परामर्श दिया कि इन आयतों में तालमेल होना चाहिए और व्याख्या करते समय ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ ने वकील आरवी भसीन की लिखी ‘इस्लाम-ए कॉन्सेप्ट ऑफ पोलिटिकल वर्ल्ड इन्वेशन बाय मुस्लिम्स’ किताब पर प्रतिबंध बरकरार रखा। भसीन ने प्रतिबंध को यह कहते हुए चुनौती दी थी कि इससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन होता है।
राज्य सरकार ने वर्ष 2007 में भसीन की किताब पर इस आधार पर प्रतिबंध लगाया था कि इसमें इस्लाम और पैगम्बर मोहम्मद के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणियाँ की गई हैं एवं मुस्लिम भावनाओं का अपमान किया गया है।
साभार:नईदुनिया.कॉम
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