नेताओं अब भी वक्त है सुधर जाओं या.......
आज भारत को आजाद हुए पता नहीं कितने साल हो गये हैं लेकिन लगता है आज भी हम गुलाम हैं. नेता ही आजाद है कैस वो तो आप ही जानते होंगे. वो जेल जाते हैं तो जेल की आबो हवा बदल जाती है. कहने का मतलब है कि अगर हम जेल गये तो सूखी रोटी और पानी के अलावा कुछ नहीं मिलेगा. लेकिन अगर नेता अगर जेल गये तो, तो क्या तंदुरी रोटी और मिनरल वाटर. कैसा लगा मुंह में पानी तो जरूर आ ही गया होगा. तो फिर देर किस बात की आप भी नेता बन जाइयें हां लेकिन इमानदार नहीं कोई ऐसा नेता बनों जिससे आपका फायदा हो उदाहरण के तौर पर झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री को ही ले लिजिए हैं तो 5 फुट के और काम कर गये 4000 हजार करोड का क्या आप में है इतना दम नहीं ना आप तो इमानदारी से काम कर करके पूरी जिंदगी बीता देंगे फिर भी 4000 करोड तो क्या 4 लाख रुपये भी नहीं कमा पायेंगे. आपका तो पता नहीं लेकिन मैं पूरी तरह आसवस्त हूं. कहते हैं ना नेता ही हमारा विकास करेगा. क्या खाक विकास करेगा. किसी एक नेता का नाम बताइयें जिसने अपने क्षेत्र का विकास किया हो एक दो अपवाद को छोडकर. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री की गांव सिर्फ नाम का ही गांव है वहां तो 2 लेन सडक हैं झोपडी ऐसी की महल भी सरमा जाय. नालियां तो आपको दिखेंगी ही नहीं, क्यों भाई.... क्योंकि अंडरग्राउंड नालिया बनी है. अगर बात की जाये झारखण्ड के मुख्यमंत्रियों की तो अब तक 7 मुख्यमंत्री हुए हैं किसी ने भी अपने क्षेत्र का विकास नहीं किया. तीसरी बार मुख्यमंत्री बने शिबू सोरेन ने अब तक अपने गांव की ओर मुंह उठा कर नहीं देखा. कहने को तो हम विकास कर रहे हैं लेकिन विकास का अर्थ ही स्पष्ट नहीं हो पाता है.
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