नहीं चाहिए आतंकवादी सजा आप ही दे दो.....

कहने को तो भारत में कोई भी क्राइम करके दूसरे देश भाग जाता है. लेकिन आतंकी या आतंकवादी कोई भी हो वो पकडा अवश्‍य जाता है. पकडने का काम हम नहीं दूसरे देश की पुलिस करती है फिर पकडाने के बाद हमारी देश के पुलिस प्रर्त्‍यपण करने को कहती है. यानि सीधे शब्‍दो में हमे सौप दो आतंकवादी. पहला सवाल तो जब हम पकड नहीं सकते तो दूसरे देश से मांगते क्‍यों है और दूसरा सवाल है अगर पकड लेते है तो उसे सजा क्‍यो नहीं देते. इसलिए की भारत में सजा हो ही नहीं सकती है. आप ही बताओ आज तक किसे सजा हुई है मेरा मतलब है किसी आतंकवादी, नेता, भ्रष्‍टाचार के आरोपी किसी को भी तो नही हुई.
बात तब की करते है जब हमारे देश सबसे बडे लोकतंत्र पर हमला हुआ था. यानि संसद भवन पर सारे नेता मरते मरते बचे थे. वो तो शुक्र है हमारी पुलिस उस समय जाग गयी वरना कौन हमारे नेताओं को कौन बचाता. नेता बच गए और बेचारे पुलिस वाले मारे गये. कहना तो नहीं चाहता फिर भी दिल मसोस कर रहने से कोई फायदा नहीं है. ये सच्‍चाई है मै गिना सकता हूं वे सभी आरोपी जिन्‍हे अभी तक कोई सजा नहीं मिली. तो गिनते रहिये
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1. अफजल गुरू - 2001 में संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरू जिसको देश की सर्वोच्च अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी उसकी राष्ट्रपति से क्षमादान याचिका की स्थिति पूर्ववत जैसी है। सूचना के अधिकार के तहत मुम्बई निवासी वत्स राज ने गृहमंत्रालय से यह जानना चाहा था कि अफजल गुरू की याचिका की वास्तविक स्थिति क्या है। अफजल गुरू ने कुछ दिन पहले एक चौकाने वाला बयान दिया था, यदि एल के आडवाणी देश के प्रधानमंत्री बन जायेगे तो उसकी याचिका पर जल्दी फैसला हो जायेगा। उसकी क्षमा याचिका सरकार के पास 20, अक्टूबर 2006 से पड़ी है। उस पर कोई निर्णय नही हो पया है। मतलब फांसी की कोई गुनजाईस नहीं है.


2. दाउद इब्राहिम - अंडरवर्लड में माना जाता है कि दाऊद ही अंडरवल्‍ड का माफिया है । 2001 तक दाऊद दुबई में ही रहता था। पर 2001 में world trade centre पर हुए आतंकवादी हमले के बाद दुनियाभर में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने आतंकवाद के खिलाफ दबाव बनाना शुरू कर दिया। इस वक्त तक दाऊद भी एक अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया जा चुका था, क्योंकि 12 मार्च 1993 को हुए मुंबई बमकांड में उसकी भूमिका की बात भारत सहित अन्‍य देशों को भी पता है. इसे भी आज तक पकडा नहीं जा सका है लेकिन समय समय पर इसे भारत को सौंपने की बात होते रहती है. शुक्र है सौंपा नहीं, नहीं तो वह भी एयरकंडिसन जेल में हवा खा रहा होता. और फांसी तो दूर की बात है.

3. आमिर अजमल कसाब - ये नाम को कौन भूल सकता है, मुंबई वासियों के लिए तो ये नाम आतंक की दूसरा नाम है. पिछले नवम्‍बर में इसने और 9 आतंकव‍ादियो ने मिलकर जिस तरह पूरे मुंबई में तबाही मचाई थी. भारत ने इसे तो पकड लिया लेकिन सजा नहीं दे पा रही है. और मजे की बात ये है कि इस आतंकवादी के रख रखाव के लिए अब तक करोडो रुपये खर्च कर चुकी है.
इसे भी अब तक सजा नहीं मिली है.

भारतीय संविधान सबके लिए एक समान है लेकिन हमारी देश्‍ा की सरकार या कोर्ट क्‍यों भुल जाती है कि आतंकवादी और देशद्रोही को सजा देना उनकी पहली प्राथमिकता है. गरीब तबके और उपर तक पहुंच ना रखने वाले लोगों को आसानी से सजा मिल जाती है. भई हम तो आम जनता है जो कुछ नहीं जानता है. जानता है तो बस यही की हम हिन्‍दुस्‍तानी....हम हिन्‍दुस्‍तानी.....

संपादक
चंदन कुमार



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