कट्टरता है समस्याओं की जड़
चंडीगढ़. भारत की पहचान विविधताओं में एकता वाले देश के रूप में रही है। इसी की बदौलत हमारा देश जगतगुरु था और सोने की चिड़िया भी। लेकिन, दुख की बात है कि कुछ लोग व पार्टियां भाषा और धर्म के आधार पर भेदभाव पैदा कर रही हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने रविवार को सेक्टर-34 के सर्कस ग्राउंड में आरएसएस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यह बातें कहीं। इस सभा में चंडीगढ़ के अलावा मोहाली, रोपड़, पटियाला, फतेहगढ़ साहिब, अंबाला विभाग से स्वयंसेवक पहुंचे थे।
भागवत ने कहा कि कहा कि दुनिया की समस्याओं का मूल कारण एक ही है, वो है कट्टरता। कट्टरपंथी लोग ही भारत की विविधता को नकारते हैं और एक देवता, एक धर्म, एक भाषा का पक्ष लेते हैं। यह युक्तिसंगत नहीं है। उन्होंने कहा, जो भारत में रहते हैं वह हिंदू ही हैं। जो लोग देश की किसी भाषा, धर्म को मिटाने की कोशिश करते हैं वह न तो देशभक्त हो सकते हैं और ही हिंदू।
बांग्लादेश में चल रहे आतंकी कैंप
उन्होंने कहा कि देश को पाकिस्तान, चीन और बांग्लादेश से खतरा है। एक ओर सरकार इनके साथ बातचीत करती है, वहीं दूसरी ओर यह देश भारत की सीमाओं को अपना बता रहे हैं। उन्होंने कहा, भारत में दहशतगर्दी फैलाने के लिए बांग्लादेश में कई ट्रेनिंग कैंप चल रहे हैं।
भारत की ओर देख रहा पश्चिम
उन्होंने पाश्चात्य देशों की ओर इशारा करते हुए कहा कि ऐसे ही मुल्क शांति के नाम पर दूसरों पर बमबारी करते हैं। उन्होंने यूएनओं की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पाश्चात्य देशों के सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिज्ञ इस बात को स्वीकारते हैं कि जीवनशैली बदलने की जरूरत है, वह मानते हैं कि विश्व को भारत की जीवनशैली अपनानी चाहिए।
संघ कोई पार्टी नहीं
सर संघचालक ने कहा, ‘जैसे सागर की तुलना सिर्फ सागर से ही की जा सकती है उसी तरह संघ की तुलना हम किसी दूसरी चीज से नहीं कर सकते। जो संघ में प्रवेश करता है वहीं इसे समझ सकता है। हालांकि संघ महासमुद्र की तरह है जिसे सर संघचालक भी नहीं जान सकते। संघ अपनी पहचान के साथ लोगों को जीने की प्रेरणा देता है। संघ ने देश को कई खिलाड़ी दिए, लेकिन संघ खेल का स्थान नहीं, संघ ने कई संगीतकार भी दिए, लेकिन यह संगीतशाला नहीं। संघ का झंड़ा है, पर संघ पार्टी नहीं है। संघ तो लोगों में देशभक्ति का जज्बा पैदा करता है।
साभार - दैनिक भास्कर
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