समाज में माता का दर्जा रखती है गाय

मेड़तारोड : विश्व मंगल गौ ग्राम यात्रा का सोमवार को चूंदिया सहित विभिन्न स्थानों पर भव्य स्वागत किया। सुबह आठ बजे यात्रा डांगावास पहुंचने के बाद हिदास, रासलियावास, चांवडिया, पांचडोलिया, श्यामपुरा, चूदिंया, कात्यासनी, सातालावास पहुंची।
जहां पर लोगों ने गाय माता की पूजा अर्चना करते हुए हस्ताक्षर किए। संत गोरधनदास रामस्नेही ने संबोधित करते हुए कहा कि गाय के दूध से दही, घी, छाछ, में जो गुण है। वह अन्य पशुओं के दूध में नहीं है। गाय के वंशज बैल भारत की कृषि व्यवस्था का अभिन्न अंग है। घर में कोई अशुद्घ कार्य हो जाने के बाद शुद्घ करने के लिए गाय के मूत्र का ही छिडकाव किया जाता है। यानि इसे ही शुद्घ माना गया है। ना कि अन्य पशु के मूत्र को शुद्घ माना है।

मूंडवा&गाय को न केवल हमने बल्कि हमारी पुरातन संस्कृत ने माता माना है। गाय को हमेशा पूज्य माना गया है। गाय में में ३३ करोड़ देवी देवताओं का निवास माना गया है। साक्षात भगवान विष्णु ने यहां अवतार लेकर गाय की सेवा करते हुए गौपाल कहलाऐं। उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला प्रचारक ईश्वरलाल ने व्यक्त किए। वो यहां नागौरी फलसा में विश्व मंगल गौ ग्राम यात्रा के तहत आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए बोल रहे थे। उन्होंने बताया कि जिस घर में गाय रहती है उस घर में हमेशा समृद्धि रहती है। गाय एक औषधालय है। भारतीय नस्ल की गाय को केवल दुधारू पशु नहीं कहा जा सकता है। यात्रा के तहसील संयोजक रामलाल ने यात्रा उद्देश्य बताते हुए कहा कि गाय को राष्ट्रीय प्राणी घोषित करवान, अलग से गौ मंत्रालय बनवाना, गाय के लिए अलग से चार डिपो, गोचर भूमि से अतिक्रमण हटवाना इत्यादि है। उन्होंने बताया कि इसके समर्थन में व्यक्ति मात्र से हस्ताक्षर करवाए जा रहे हैं।

मारोठ& हिन्दु संस्कृति में देवी देवाताओं के साथ पशुओं की भी पूजा की जाती है। धार्मिक पुराणों के अनुसार गाय को पूजनीय व माता के रूप में माना जाता है। यह विचार विश्व मंगल गौग्राम यात्रा के संयोजक सुरेन्द्र पंण्डित ने मारोठ में स्वागत के दौरान कहे। उन्होंने ग्रामीणों को बताया कि इस यात्रा का मुख्य उदेश्य गौवंश की पुनप्रतिष्ठा स्थापित करना है ताकि गौबर गैस द्वारा गौवंश संचारित जनरेटर व बेल चलित यन्त्रों द्वारा किसानों को स्वावलम्बी एवं सम्पन्न किया जा सके सोमवार को यात्रा कालिया के बास, माता-सुखा, बावडी, शिम्भूपुृरा, कांटिया, बारलिया, बरजन व विजयनगर में स्वागत किया गया।

कस्बे में साय: 6 बजे यात्रा के पहुंचने पर ग्रामीणों का हुजूम उमड़ पड़ा तथा रात्रि विश्राम के बाद सुबह यात्रा को ग्रामीणों द्वारा उत्साह से विदा किया जाएगा।


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