स्विट्जरलैंड में इस्लामी मीनारों पर बैन की तैयारी
स्विट्जरलैंड में इस्लामी मीनारों पर बैन लगाने की तैयारी है। इस बारे में एक प्रस्ताव पर रविवार को वोटिंग हुई। इस प्रस्ताव को स्विट्जरलैंड की संसद में सबसे बड़ी पार्टी स्विस पीपल्स पार्टी का समर्थन हासिल है। प्रस्ताव के समर्थकों का कहना है कि मीनारों के निर्माण की इजाजत देने से शरीया कानून को बढ़ावा मिलेगा, जो स्विस डेमोक्रेसी के अनुरूप नहीं है।
सरकार की चिंता
स्विस गवर्नमेंट इस प्रस्ताव के खिलाफ है। उसने लोगों से इस रेफरेंडम के खिलाफ वोट देने की अपील की है। लेकिन वोटिंग के शुरुआती नतीजों से लगता है कि यह प्रस्ताव पास हो जाएगा। सरकार का मानना है कि इस प्रस्ताव के पास होने से मुसलमानों के साथ भेदभाव बढ़ेगा, जिससे तनाव फैलेगा। यही नहीं, इस्लामी देशों के साथ उसके रिश्तों पर भी असर पड़ेगा।
मुस्लिमों में खौफ
वैसे तो रेफरेंडम का रिजल्ट सरकार पर तब तक बाध्यकारी नहीं है, जब तक वोटिंग अधिकार प्राप्त प्रांत बहुमत से उसे स्वीकार नहीं कर लेते। लेकिन मौजूदा वोटिंग के नतीजों अगर प्रस्ताव के हक में आए तो मुसलमान खुलकर नहीं रह पाएंगे। उनके ऊपर हर वक्त डर का साया मंडराता रहेगा।
शरीया की दस्तक?
इस रेफरेंडम के समर्थकों का कहना है कि मीनारें धार्मिक प्रतीक से कहीं ज्यादा हैं। इनके बनने से ये मेसेज जाएगा कि स्विट्जरलैंड में इस्लामी कानून मान्य है। मस्जिदों की मीनारों से शरीया विचारधारा को बढ़ावा मिलता है और शरीयत कानून को लागू करने की मांग बढ़ जाएगी, जो स्विट्जरलैंड के कानूनों के खिलाफ है।
मस्जिदों पर हमले
इस रेफरेंडम के लिए पीपल्स पार्टी कई महीनों से अभियान चला रही थी। उसने एक लाख से ज्यादा वोटरों के दस्तखत वाला लेटर भी सौंपा था। इसी के बाद यह वोटिंग हुई। प्रचार के दौरान कई मस्जिदों पर हमलों की वारदातें भी हुईं। मशहूर मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनैशनल भी इस प्रस्ताव के खिलाफ चेतावनी दे चुकी है। उसका कहना है कि यह प्रस्ताव धार्मिक आजादी के अधिकार के खिलाफ है।
चार लाख मुस्लिम, मस्जिदें चार
स्विट्जरलैंड में चार लाख से ज्यादा मुसलमान हैं लेकिन मस्जिदें सिर्फ चार ही हैं। पांचवीं मस्जिद के निर्माण पर विचार चल रहा है। स्विट्जरलैंड में ईसाई धर्म के बाद इस्लाम दूसरा सबसे प्रचलित धर्म है। लेकिन यह ज्यादा मुखर नहीं है
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