लिब्रहान आयोग:17 साल में 48 बार विस्तार,68 दोषी

बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के मामले की जांच करने वाले लिब्रहान आयोग ने 17 साल की जांच के बाद अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी सहित भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को गंभीर रूप से दोषी पाते हुए उन्हें ‘छद्म उदारवादी’ करार दिया है।
न्यायमूर्ति मनमोहन सिंह लिब्रहान की अध्यक्षता वाले आयोग ने उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की भी निन्दा करते हुए कहा कि विवादित ढांचे को छह दिसंबर 1992 को छलावे और दबे छुपे ढंग से ढहाया जाना किसी लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार के लिए उचित नहीं है।
एक अंग्रेजी दैनिक में रिपोर्ट के कुछ अंश लीक हो जाने पर कल संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के भारी हंगामे के बाद गृह मंत्री पी चिदंबरम ने आज संसद में आयोग की 1000 से अधिक पृष्ठ की चार खंड वाली रपट और उसके साथ सरकार की कार्रवाई रपट संसद में पेश की। इससे पहले आज सुबह केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अपनी बैठक में इसे पेश करने का फैसला किया।
आयोग को बाबरी मस्जिद ढहाये जाने की घटना के दस दिन बाद गठित किया गया था और उसे 17 साल में 48 बार कार्यकाल का विस्तार मिला । आयोग ने राजनीतिक सत्ता हथियाने के लिए धर्म के दुरूपयोग रोकने के लिए कड़े दंडात्मक प्रावधान करने वाले कानून की सिफारिश की है और धार्मिक एजेंडा रखने वाले उम्मीदवारों एवं राजनीतिक दलों को अयोग्य करार देने की बात भी कही है।
कार्रवाई रपट (एटीआर) में सरकार ने वायदा किया है कि सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए विधेयक पर विचार किया जा रहा है, जिसमें इन कुछ सिफारिशों पर प्रावधान शामिल किये जाएंगे जबकि चुनाव आयोग से भी इस दिशा में कार्रवाई करने का आग्रह किया जाएगा। एटीआर में किसी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की बात नहीं की गयी है । भाजपा और संघ परिवार के नेताओं के खिलाफ लखनऊ और रायबरेली की विभिन्न अदालतों में चल रहे मामलों पर केवल संज्ञान भर लिया गया है । भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पर हमला बोलते हुए आयोग ने वाजपेयी, आडवाणी और जोशी को घटना के जिम्मेदार 68 लोगों की सूची में शामिल किया है, जिनके कारण देश में सांप्रदायिक उन्माद फैला।
आयोग ने कहा कि इनके दोष को लेकर किसी तरह का कोई संदेह नहीं है और मुख्यमंत्री ( कल्याण सिंह), उनके सहयोगी मंत्रियों और अशोक सिंघल, के एस सुदर्शन एवं विनय कटियार जैसे संघ परिवार के नेताओं को भी इस जिम्मेदारी से मुक्त नहीं किया जा सकता, जिन्होंने आडवाणी, जोशी और वाजपेयी जैसे आंदोलन के पुरोधाओं के समर्थन से पूरा समूह बना रखा था ।
रपट में कहा गया कि कल्याण सिंह और उनके विश्वस्त लोगों ने उच्च अधिकारियों के समक्ष झूठ बोलने और उन्हें गुमराह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी । आयोग ने दोषी व्यक्तियों के मानकों का विश्लेषण किया और व्यक्तियों एवं संगठनों को तीन समूहों में बांटा । पहले समूह में वे लोग हैं, जिनकी बाबरी मस्जिद ढहाये जाने की प्राथमिक एवं सबसे ज्यादा जिम्मेदारी है क्योंकि उनके पास इस घटना को रोकने के साधन थे ।
आयोग ने कहा कि दूसरे समूह में वे लोग हैं, जिनकी भौतिक, वैचारिक और बौद्धिक जिम्मेदारी है जबकि तीसरे समूह में ऐसे लोग हैं, जिनकी घटना के लिए तीसरे किस्म की भूमिका है। रपट में कहा गया कि प्राथमिक आरोपियों के कोर ग्रुप में शामिल लोगों को दूसरे समूह के लोगोंे ने कवच प्रदान किया और तीसरे किस्म के लोगों की निष्क्रियता और सुराग हासिल करने में विफलता से इन लोगों ने महान देशों में से एक और दुनिया की सबसे पुरानी स5यताओं में से एक को गंभीर असयंम वाले देश में तब्दील कर दिया।
आयोग ने कहा कि तीनों समूहों पर ही अयोध्या की घटनाओं की समूची जिम्मेदारी है।
आयोग ने कहा कि एक ओर वाजपेयी, आडवाणी और जोशी जैसे भाजपा और संघ परिवार के नेताओं ने लगातार खुद को निर्दोष बताया और 1992 की घटनाओं की निन्दा की ।
इसने कहा कि दूसरी ओर इस बारे में कोई संदेह नहीं कि उस दिन की घटना यकायक नहीं हुई और ऐसा भी नहीं है कि सुनियोजित नहीं थी।
उधर भाजपा ने वाजपेयी को दोषी ठहराये जाने पर कड़ी आपत्ति करते हुए रपट के मीडिया में लीक होने का आरोप गृह मंत्री पी चिदंबरम पर लगाया और उनके इस्तीफे की मांग की।
लोकसभा में भाजपा की उपनेता सुषमा स्वराज ने यहां संवाददाताओं से कहा कि रिपोर्ट को जानबूझ कर लीक किया गया है। पहले हम कहते थे कि इसे गृह मंत्रालय के आधिकारिक सूत्रों की ओर से लीक किया गया है लेकिन अब हमारा कहना है कि इसे स्वयं गृहमंत्री ने लीक किया है।’’ कांग्रेस ने आयोग की रपट में जिन लोगों के नाम आये हैं, पुलिस की जांच के बाद उनके खिलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल किया जाएगा। पार्टी प्रवक्ता अभिषक सिंघवी ने कहा कि निश्चित तौर पर पूरक आरोपपत्र दाखिल किया जा सकता है और दाखिल किया जाएगा। आयोग की रिपोर्ट को सिरे से खारिज करते हुए विश्व हिन्दू परिषद ने कहा कि हरिद्वार में मकर कुम्भ के दौरान लाखों संतों और राम भक्तों को भव्य राम मंदिर बनाने के लिए अयोध्या कूच करने का आह्वान किया जायेगा।
विहिप के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण तोगड़िया ने यहां संवाददाताओं से कहा कि राम जन्मभूमि आंदोलन को लाखों संतों और राम भक्तों ने शुरू किया था। इस आंदोलन में व्यक्ति विशेष, संस्था या दल का कोई महत्व नहीं है। हम रहे या न रहे.किसी एक रपट से राम मंदिर आंदोलन को नहीं रोका जा सकता है। मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने सरकार से कहा कि वह बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के मामले में लिब्रहान आयोग द्वारा दोषी पाये गये लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाये। पार्टी ने कहा कि छह दिसंबर 1992 की घटना भारत के धर्म निरपेक्ष लोकतंत्र पर ‘सबसे गंभीर हमला’ थी।
माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य सीताराम येचुरी ने यहां संवाददाताओं से कहा कि इस मामले में हालांकि न्याय मिलने में 17 साल का विलंब हुआ लेकिन न्याय अवश्य होना चाहिए। यदि कानून तोड़ा गया है तो कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए । रपट में जुटाये गये साक्ष्यों के आधार पर इस घटना की साजिश रचने वालों के खिलाफ ठोस कार्रवाई होनी चाहिए। लिब्रहान आयोग ने जिन अन्य नेताओं को दोषी ठहराया है, उनमें शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व नेता के गोविन्दाचार्य, भाजपा के दिवंगत नेता प्रमोद महाजन, भाजपा की पूर्व नेता उमा भारती और भाजपा की दिवंगत नेता विजयाराजे सिंधिया शामिल हैं। आयोग ने कहा कि इस बात की एक पल भी कल्पना नहीं की जा सकती कि आडवाणी, वाजपेयी या जोशी को संघ परिवार के इरादों का पता नहीं था। इसने कहा कि वह इन छद्म उदारवादियों को किसी गलत कार्य के लिए निर्दोष करार देने में अक्षम है।
आयोग ने कहा कि भाजपा का छद्म उदारवादी नेतृत्व संघ के हाथों का उसी तरह से हथियार बना, जैसे कोई भी संगठन या इकाई बनती है और ये नेता संघ द्वारा पायी गयी राजनीतिक सफलता का लाभ पाने वाले हैं। रपट में कहा गया कि भाजपा संघ का अंग था और अभी भी है, जिसका उद्देश्य कम लोकप्रिय फैसलों को पक्के तौर पर स्वीकार्य बनाना है और संघ परिवार के उतावले सदस्यों के लिए मुखौटा बनना है।
आयोग ने महज राजनीतिक लाभ के लिए एक महान देश और दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक को असंयम और बर्बर राष्ट्र के रूप में तब्दील करने के लिए राजनेताओं की निन्दा की। रपट में जिन नौकरशाहों के नाम हैं, उनमें उत्तर प्रदेश के तत्कालीन प्रमुख सचिव (गृह) प्रभात कुमार, तत्कालीन महानिरीक्षक (सुरक्षा) ए के सरन और फैजाबाद के तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डी बी राय शामिल हैं। आयोग ने कहा कि चुनाव आयोग को सुनिश्चित करना चाहिए कि देश के किसी भी नागरिक द्वारा धार्मिक भावनाओं के दुरूपयोग की शिकायत यदि उसके समक्ष लायी जाती है तो तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए और ऐसा करने वाले उम्मीदवार को अयोग्य करार देना चाहिए।
लिब्रहान आयोग ने कहा कि यदि पूजास्थलों पर चुनावी रैलियां कराने के प्रयास हों अथवा भगवान के नाम का इस्तेमाल राजनीति के लिए किया जाए तो भी उम्मीदवार को अयोग्य करार देना चाहिए।
आयोग ने कहा कि धर्म को राजनीति से जितनी जल्दी हो, अलग किया जाना चाहिए । सरकार ने कहा कि उसने इस सिफारिश पर संज्ञान लिया है। आयोग ने कहा कि इस मसले पर न सिर्फ संसद को बल्कि धार्मिक नेताओं और राजनेताओं को भी विचार करना चाहिए। आयोग ने सरकार से आपराधिक न्याय आयोग के गठन की संभावना तलाशने को कहा। इसने कहा कि आपराधिक न्याय आयोग को सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियांे के प्रदर्शन की व्यापक निगरानी करनी चाहिए। साथ ही जरूरत पड़ने पर सुधारात्मक उपाय भी सुझाने चाहिए।
सरकार ने अपनी कार्रवाई रपट ( एटीआर) में कहा कि भारत के विधि आयोग से ऐसे पैनल के गठन की आवश्यकता का अध्ययन करने का आग्रह किया जाएगा। आयोग ने वकीलों और डाक्टरों की तर्ज पर पत्रकारों को भी लाइसेंस देने की सिफारिश करते हुए कहा है कि प्रेस और मीडिया के खिलाफ शिकायतों से निपटने के लिए एक न्यायाधिकरण या नियामक इकाई का गठन किया जाना चाहिए। कार्रवाई रपट (एटीआर) में लिब्रहान आयोग की रपट के हवाले से कहा गया। भारतीय चिकित्सा परिषद या बार काउंसिल आफ इंडिया की तर्ज पर मीडिया के लिए भी ऐसी इकाई के गठन की सख्त आवश्यकता है जो पत्रकारों या अखबारों के खिलाफ किसी शिकायत के बारे में फैसला कर सके। बाबरी मस्जिद जैसे ढांचों से जुड़े विवाद को हमेशा हमेशा के लिए समाप्त करने के उद्देश्य से आयोग ने सिफारिश की है कि ऐसे ऐतिहासिक भवनों और शिल्पकृतियों के उद्गम के मुद्दे पर विचार के लिए वैधानिक राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाना चाहिए।
आयोग ने कहा कि राष्ट्रीय आयोग जो तय करे, उसे निश्चित और अंतिम माना जाना चाहिए। देश के भीतर और बाहर के उत्कृष्ट इतिहासकारों, मानवशास्त्रियों, पुरातत्वविदों को इस काम में जोड़ने में किसी तरह की हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए,लेकिन यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उनके निष्कषो’ का समुदायों, जातियों और क्षेत्रों के बीच शांति और सद्भाव कायम करने में योगदान होना चाहिए। नौकरशाहों की भूमिका के बारे में आयोग ने कहा कि सिविल सेवा के मूल्यों में आयी गिरावट उत्तर प्रदेश में 1992 के दौरान साफ झलकती है। रपट में कहा गया कि राज्य की सिविल सेवा अच्छा प्रशासन मुहैया कराने और संविधान में प्रदत्त हर लोकतांत्रिक सुरक्षा को ध्वस्त करने के प्रयास को सक्रियता से विफल करने की प्राथमिक जिम्मेदारी में विफल रहा।
नेताओं और नौकरशाहों के बीच साठगांठ को समाप्त करने के तत्काल उपाय करने का सुझाव देते हुए लिब्रहान आयोग ने सिविल और पुलिस सेवाओं की भर्ती प्रक्रिया में आमूल चूल परिवर्तन की कड़ी सिफारिश की है। उसने कहा कि जनता का प्रशासन की मौजूदा प्रणाली में विश्वास समाप्त हो गया है।
आयोग ने कहा कि पुलिस और नौकरशाही के सामने ‘विश्वास खोने का संकट’ है। साथ ही सुझाव दिया कि राजनेताओं ओर नौकरशाहों के बीच की साठगांठ को समाप्त करने के तात्कालिक उपाय किये जाने चाहिए और एक जवाबदेह पुलिस बल तथा नौकरशाह तैयार किये जाने चाहिए।
इसमें कहा गया कि यह बात काफी खतरनाक और असंतोषजनक है कि नौकरशाहों को राजनेताओं या धार्मिक नेताओं का संरक्षण प्राप्त हो। बाबरी मस्जिद ढांचा गिराये जाने की घटना को लेकर भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तगड़ी खबर लेने के साथ-साथ आयोग ने कुछ सांप्रदायिक मुस्लिम नेताओं की भी खिंचाई की है। आयोग की रपट में राजनीतिक प्रभाव और लाभ हासिल करने के लिए व्यक्तिगत प्रभाव का इस्तेमाल करने वाले कुछ सांप्रदायिक मुस्लिम नेताओं की निन्दा की गयी है। इसने कहा कि पूरी अवधि में वे महज तमाशबीन बने रहे और उनका प्रदर्शन काफी खराब रहा।
आयोग ने कहा कि बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ने किसी भी बातचीत में विवादित ढांचे को लेकर कोई दावा नहीं पेश किया और उनका रूख केवल संघ परिवार के दावों के खंडन तक सीमित रहा।


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