राष्ट्रीय समस्याओ का समाधान
आलेख - कन्हैया दूबे
समाज के सामने समस्या सामाजिक हो, राजनैतिक हो, या सांस्कृतिक या फिर बाह्य या आन्तरिक | ऐसी सभी समस्याओ का हल समाज के पास ही है| समाज यानि देश | एक गाँधी खडा हो गया तो उसके पीछे सारा देश खडा हो गया और अंग्रेज कपने लगे "वन्दे मातरम" ने मौत को छोटा कर दिया और देश को बड़ा | "नमक" आन्दोलन का प्रतिक बन गया और डंडी मार्च प्राम्भ हो गयी | गणेश उत्सव में राष्टीयता आ गयी और नेताजी कहने लगे "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा" | लाल - पाल - बाल के पीछे लोग दीवाने हो गए | फांसी के फंदे को चूमने की होड़ लग गयी | देश जब खडा हुआ तो हमने अंग्रेजो को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया जब समाज खडा हुआ तो गुलामी की जंजीर स्वतः टूटने लगी और आजादी पर हमारा प्यारा तिरंगा लहर-लहर लहराने लगा | सरकार से समाज को नहीं चलाया जा सकता.
बल्कि समाज निश्चित ही सरकार को चला सकती है, यह सनातन और पुरातन मान्यता है| हम सरकारी समाधान की आस में सामाजिक समाधान जैसे पुण्य कर्तब्य से विमुख हो रहे है| हमने "आजादी" को संपूर्ण समाधान मान लिया | "समाधान " का संस्कार "प्रक्रिया" है| हम सभी को प्रक्रियाओ का यानि समाज द्वारा स्थापित मर्यादाओ और मानदंडो का पालन करना होगा | समन्वय एवं उदारता को धारण करना होगा | ऐसा हमने यदि किया तो, चुनौतिया चुटकियों में दूर हो जायेगी |
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