भाजपा को सताने लगी संगठन की चिंता
नई दिल्ली [रामनारायण श्रीवास्तव]। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा नेतृत्व को सांगठनिक कमजोरियों की चिंता सताने लगी है। दिल्ली व राजस्थान में अपनी कमियों को हार का कारण मान रही भाजपा को पार्टी मुख्यालय से ढाई करोड़ रुपये के गबन से गहरा धक्का लगा है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी पार्टी के भीतर चल रहे हालात को गंभीरता से लिया है। उसकी चिंता का एक कारण संघ से भाजपा में आए प्रचारकों पर भी कुछ मामलों में अंगुली उठना है। भाजपा नेतृत्व इन सारी स्थितियों से संघ के वरिष्ठ नेताओं को अवगत कराएगा।
भाजपा के संसदीय बोर्ड की शुक्रवार सुबह होने वाली बैठक में वैसे तो जम्मू-कश्मीर के परिणामों पर चर्चा की जाएगी, लेकिन हाल की घटनाओं की गूंज भी उसमें होगी। बैठक में दिल्ली व राजस्थान पर भी चर्चा होने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार एजेंडे में न होने के बावजूद पार्टी मुख्यालय से गबन की घटना भी चर्चा में आएगी। इस मामले में जवाबदेही तय करने की बात भी उठ सकती है। इस घटना से भाजपा ही नहीं, संघ भी आंच महसूस कर रहा है।
संघ के बारे में माना जाता है कि चरित्र व धन को लेकर बेहद सतर्क रहता है और इस मामले में कोई कोताही बर्दाश्त नहीं करता। गौरतलब है कि पूर्व में जब संजय जोशी पर अंगुली उठी तो उन्हें भी खामियाजा भुगतना पड़ा था। अब गबन की घटना के बाद मुख्य लेखाकार के साथ कोषाध्यक्ष व कार्यालय मंत्री के कामकाज पर भी अंगुली उठी है।
सूत्रों के अनुसार इस घटना के बाद संगठन की कमियों को दूर करने और कुछ जरूरी बदलाव करने पर चर्चा भी शुरू हो गई है। स्वदेशी जागरण मंच के संयोजक रहे मुरलीधर राव को भाजपा में लाया जा रहा है। संघ के प्रमुख विचारक व भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक दत्तोपंत ठेंगड़ी ने राव को आगे बढ़ाया था।
हालांकि ठेंगड़ी के निधन के बाद न तो यह मंच और न ही राव खासा प्रभाव छोड़ सके। संघ में राव इस समय सह सरकार्यवाह मदनलाल देवी के करीबी माने जाते हैं। सूत्रों के अनुसार राव को नई भूमिका में पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाकर फिलहाल राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ जोड़ा जाएगा।
ताजा घटनाक्रमों व आने वाले चुनाव को लेकर शुक्रवार को भाजपा का शीर्ष नेतृत्व संघ के प्रमुख नेताओं, सर कार्यवाह मोहन भागवत व सह सर कार्यवाह सुरेश सोनी, से भी मुलाकात करेगा। मौजूदा सांगठनिक व राजनीतिक घटनाक्रमों के मद्देनजर यह बैठक पार्टी की रीति-नीति के लिए महत्वपूर्ण होगी।
साभार - दैनिक जागरण
1 टिप्पणियाँ:
सिर्फ़ संगठन रह गया, लक्ष्य है कोसों दूर.
नैतिकता कब तक बचे, संघ हुआ मजबूर.
हुआ संघ मजबूर, कहो किस-किस को संभाले.
ढकना पैर तो सिर से चादर दूर हटा ले.
कह साधक कवि, केशव-स्वप्न दूर रह गया.
लक्ष्य है कोसों दूर, सिर्फ़ संगठन रह गया.
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