गांधी की हत्या में आरएसएस की संलिप्पता नहीं |
उदयपुर, राज्यपाल एस.के. सिंह ने राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद पर रहते हुए शिक्षा के मंदिर, वर्द्घमान महावीर खुला विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय केंद्र पर जिस प्रकार का निराधार एवं असत्य वक्तव्य दिया वह अत्यन्त गैर जिम्मेदाराना है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चित्तौड प्रान्त के सभी स्वयंसेवकों ने उनके इस कथन के प्रति विरोध व्यक्त किया है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या में संघ के लिप्त होने का उनका आरोप सर्वथा तथ्यहीन एवं विद्वेष फैलाने वाला है। प्रदेश के राज्यपाल की ऐसी अज्ञानता देश व समाज के लिए अत्यन्त चिन्ता का विषय है।
डॉ. भगवती प्रकाश शर्मा ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा कि राज्यपाल को यह विदित होना चाहिए कि तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल का पत्र व्यवहार जो दुर्गादास द्वारा समदित कर प्रकाशित किया गया है उसके 1945-5॰ संबंधी छठे खण्ड में, पटेल ने पत्र दिनांक 27 फरवरी 1948 प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को स्पष्ट लिखा था कि ‘सभी विवरणों व बयानों से यह स्पष्ट हो जाता है कि आरएसएस की इसमें कोई संलिप्तता नहीं थी।’ इसी क्रम में यह बात उन्हें विदित होनी चाहिए कि गांधी हत्या के संबंध में चले मुकदमे में सरकारी पेरोकार ने भी कहीं भी वाद पत्र में संघ पर कोई आरोप नहीं लगाया था। मुम्बई के एडवोकेट जनरल सी.के. दफ्तरी इसके प्रभारी थे। इसलिए उस मामले के निर्णय में भी कहीं संघ पर कोई आरोप नहीं है। गांधीजी की हत्या के मामले की जांच हेतु सरकार ने 1966 में सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति जे.एल. कपूर की अध्यक्षता में जिस जांच आयोग का गठन किया गया था उसने भी गांधीजी की हत्या में संघ के लिप्त होने का स्पष्ट शब्दों में खण्डन किया था। देश के विभिन्न भागों में आयोजित आयोग की बैठकों में एक सौ एक गवाहों एवं चार सौ सात प्रलेखों की जांच की गई थी। इस आयोग का प्रतिवेदन 1969 में प्रकाशित हुआ था। आयोग ने गांधीजी की हत्या के साथ संघ का किसी भी प्रकार का संबंध होने की सम्भावना होने से इन्कार कर दिया था।
राज्यपाल एस.के. सिंह अपना पद छोडे ः कटारिया
भारतीय जनता युवा मोर्चा शहर जिला द्वारा राज्यपाल एस.के. सिंह का पुतला फूंका गया। राज्यपाल एस.के. सिंह द्वारा दिए गए बयान कि महात्मा गांधी की हत्या में आरएसएस का हाथ है इसके विरोध में भाजयुमो शहर द्वारा सूरजपोल पर राज्यपाल का पुतला फूंका गया। सर्वप्रथम सायं हुई इस सभा में प्रमोद सामर ने सम्बोधित करते हुए कहा कि संघ पर ऐसे आरोप लगाने का उन्हें कोई हक नहंी है। राज्यपाल को यह पद छोड देना चाहिए। इसके पश्चात महामंत्री राजेंद्र बोर्दिया ने कहा कि आरएसएस जैसे देशभक्त संगठन के ऊपर एक सोची-समझी साजिश के तहत यह बयानबाजी की जा रही है। इसके पश्चात शहर के विधायक गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि इस प्रकार के ओछे बयान देना राज्यपाल को शोभा नहीं देता है। यह कोर्ट में पहले ही साबित हो चुका है इसमें आरएसएस का कोई हाथ नहीं है। इसमें पहले ही क्लीन चिट मिल चुकी थी, जबकि जवाहरलाल नेहरू ने देश की सीमा पर सुरक्षा के लिए संघ से कार्यकर्ता मांगे थे। कटारियाने कहा कि यह लडाई की शुरूआत है राज्यपाल को बर्खास्त नहीं किया गया तो आगे आने वाले समय में और आंदोलन किया जाएगा। इस दौरान शहर विधायक कटारिया, भाजयुमो जिलाध्यक्ष जगदीश शर्मा, उपाध्यक्ष ललित तलेसरा, धर्मेश पामेचा, राजेश चौहान, महामंत्री मनोहर सिंह पंवार, राजेश वैष्णव, कार्यालय मंत्री रूपेश जैन, जिलामंत्री कुंदन चौहान, प्रकाश साहू, भाजपा मीडिया जिलाध्यक्ष चंचल कुमार अग्रवाल, भाजपा मंडल अध्यक्ष ललित मेनारिया, अनिल सिंघल, बलवीर सिंह, राजकुमार चित्तौडा, खूबीलाल पालीवाल, भगवान वैष्णव आदि उपस्थित थे।
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