भारतीय पुजारियों को हटाने पर विवाद


काठमांडो। पशुपतिनाथ मंदिर से भारतीय पुजारियों को हटाए जाने से नेपाल में विवाद खड़ा हो गया है। मुख्य विपक्षी दल ने माओवादियों पर देश के हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया है।

नेपाल की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस ने माओवादियों के नेतृत्व वाली सरकार के इस कदम पर कड़ी आपत्ति जताई है, जिसने काठमांडू स्थित प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर से दक्षिण भारत के पुजारियों को हटा दिया है और उनकी जगह स्थानीय पुजारियों की नियुक्ति कर दी है। पशुपतिनाथ मंदिर हिंदुओं के सर्वाधिक पवित्र आठ तीर्थस्थलों में से एक है।
नेपाली कांग्रेस ने आरोप लगाया कि उचित प्रक्रिया और औपचारिकताओं को पूरा किए बिना यह कार्रवाई जल्दबाजी में की गई। नेपाली कांग्रेस के प्रमुख लक्ष्मण घिमिरी ने सोमवार को संसद में कहा कि माओवादियों की सरकार ने कोई औपचारिकता पूरी किए बिना जिस तरह पशुपतिनाथ मंदिर की सेवा कर रहे पुजारियों को बदला उससे नेपाल के हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है। उन्होंने कहा कि सदियों पुरानी परंपरा को बदलकर पुजारियों को हटाए जाने का फैसला मंत्रिमंडल के जरिए किया जाना चाहिए था।

नेपाली कांग्रेस अध्यक्ष गिरिजा प्रसाद कोइराला की पुत्री और पार्टी सदस्य सुजाता कोइराला ने कहा कि पुजारियों को हटाए जाने से लोगों के मन पर नकारात्मक असर पड़ा है। इस कदम से लगता है कि सत्तारूढ़ पार्टी सदियों पुरानी परंपरा और देश की संस्कृति के खिलाफ है।

गौरतलब है कि माओवादी सरकार ने पशुपतिनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी महाबलेश्वर भट्ट सहित तीन दक्षिण भारतीय पुजारियों को हटा दिया है और विष्णु दहल को मंदिर का प्रमुख नियुक्त कर दिया है। 1747 ईसा बाद मल्ल राजाओं के जमाने से पशुपतिनाथ मंदिर में दक्षिण भारतीय पुजारी रहे हैं। जिन दो अन्य पुजारियों को इस्तीफा देना है, उनसे आधिकारिक आदेश का पालन करने को कहा गया है।
साभार - दैनिक जागरण

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