शत नमन

शत नमन

शत नमन माधव चरण में, शत नमन माधव चरण में।
आपकी पीयूष वाणी शब्द को धन्य करती।
आपकी आत्मीयता थी युगल नयनों से बरसती ।
और वह निश्चल हँसी जो गुँज उठती थी गगन में ॥1॥

ज्ञान में तो आप ऋषिवर दिखते थे आद्य शंकर ।
और भोला भाव शिशु सा खेलता मुख पर निरन्तर ।
दीन दुखियोंके लिए थी द्रवित करुणाधार मन में ॥2॥

दु:ख सुख निन्दा प्रशंसा आपको सब एक ही थे ।
दिव्य गीता ज्ञान से युत आप तो स्तित प्रज्ञ ही थे।
भरत भू के पुत्र उत्तम आप थे युगपुरुष जन्में ॥3॥

मेरु गिरि सा मन अडिग था आपने पाया महात्मन् ।
त्याग कैसा आपका वह तेजसाहस शील पावन ।
मात्र दर्शन भस्म कर दे घोर षट्-रिपु एक क्षण में ॥4॥

सिंधु सा गम्भीर मानस थाह कब पाई किसी ने ।
आ गया सम्पर्क में जो धन्यता पाई उसी ने ।
आप योगेश्वर नए थे छल भरे कुरुक्षेत्र रण में ॥5॥

शत नमन माधव चरण में, शत नमन माधव चरण में ।

0 टिप्पणियाँ:

Related Posts with Thumbnails

Blog Archive

  © Blogger templates The Professional Template by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP