इस्राइल से सीखे भारत |
इस दुनिया में इस्राइल का नाम कौन नही जानता | इस्राइल अपनी कथनी को करनी में बदलता ही नही हैं वरन अपने फैसले के प्रति पूरा देश दृढ़ संकल्प रहता है अभी हाल ही में 27/12/2008 को इस्राइल में 70 रॉकेट फिलिस्तीन के आतंकवादी संगठन हमास के द्वारा दागा गया, जिससे भारी नुक्सान हुआ और इस घटना के तुंरत बाद इस्राइल के विभिन्न राजनैतिक डालो के नेता संसद में एकमत होकर बहुत ही आक्रामक तरीके से विरोध किया और तुंरत जवाबी कारवाई करने को इस्राइली वायु सेना को निर्देश दिया गया | आदेश मिलते ही इस्राइली वायु सेना ने गाजा में दनादन हवाई हमला किया और अब तक लगभग 772 लोगो की जाने जा चुकी है जिसमे हमास के कई बड़े नेता भी शामिल है | उधर इस्राइल की इस कारवाई के बाद पूरा विश्व समुदाय सकते में है | इरान एवं अरब समूह के कई देश इस हवाई हमला को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् पर लगातार दबाव bana रहे है कुछ युरोपिय देश जैसे फ्रांस एवं चीन ने भी इस हवाई हमला को रोकने के लिए कहा मगर हवाई हमला को बंद करने के बजाय जमीनी युद्ध की कारवाई करने को इस्राइल ने कहकर इन सभी देशो की पश्चिम एशिया में शान्ति की अपील खारिज कर दी इस्राइल के रक्षा मंत्री ने बड़े स्पष्ट शब्दों में फिलिस्तीन एवं विश्व समुदाय से कहा की वह गाजा पर हमला तभी रोकेगा जब हमास, इस्राइल पर हमला ना करने की शर्त रखे |
यहाँ आपको यह बताते चले की, इस्राइल और भारत में काफी समानताये है | जैसे इस्राइल भी दुनिया का एकमात्र देश है, जो चारो तरफ़ अपने दुश्मनों (इस्लामिक देशो) से घिरा है, और भारत के भी चारो दिशाओ में दुश्मन राष्ट्र जैसे (पकिस्तान, चीन, बांग्लादेश) देशो से घिरा है | मगर राष्ट्र के प्रति तन-मन-धन से उसका विकास एवं रक्षा करना भारत की अपेक्षा इस्राइल के लोगो में ज्यादा है | इस्राइल और भारत दोनों में प्रायोजित आतंकवाद (जिहाद) विगत कई वर्षो से चल रहा है, लेकिन इसको कुचलने में इस्राइल में इस्राइल ने भारत से ज्यादा तत्परता दिखाई और परिणाम पूरा विश्व देख रहा है | एक ओर जहाँ भारत लगातार एक के बाद एक बड़ी आतंकवादी घटनाये झेल रहा है, तो इस्राइल में आतंकवादियों के मनोबल में गिरावट आई है, और बड़ी - बड़ी आतंकी घटनाये भी बहुत कम हुई है | चुकी भारत और इस्राइल दोनों विकासशील देश है | दोनों देशो को अपनी राष्ट्रीय आय का अधिकांश हिस्सा सेना के ऊपर खर्च करना पड़ता है | ऐसा नही है की, हमारी सेना आतंकवाद को ख़तम नही कर सकती है | बल्कि भारतीय वायु सेना विश्व की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना है | विश्व की दूसरी बड़ी थल सेना है | जल सेना में भी हम किसी से कम नही है | टेंको और मिसाइलों की तकनीक भी बदली है, और इसको और घातक एवं धारदार बनने का प्रयास चल रहा है कमी है, तो हमारे देश के नेताओ के सोच में हैं वोट बैंक की लालच ने इन नेताओ को इतना अँधा कर दिया है, की उनको राष्ट्र की अखंडता और सुरक्षा के प्रति न सिर्फ़ आँख मूंद कर बैठे है, ऐसे - ऐसे मुददों को भी वे राजनीति का रंग चढाने में जरा भी शर्म महसूस नही करते है | यहाँ एक बात और भी बताता चलूं की, सबसे बड़ी खराबी, लचीलापन हमारे विदेश नीति में है | आज जरुरत है, राष्ट्र को एक स्पष्ट विदेश नीति की, जिसमे राष्ट्र के साथ खेलवाड़ करने वाले प्रायोजित आतंकवादी गुट या देश के विरुद्ध कड़ी कारवाई से निपटा जाए |
आलेख - कन्हैया दुबे
यहाँ आपको यह बताते चले की, इस्राइल और भारत में काफी समानताये है | जैसे इस्राइल भी दुनिया का एकमात्र देश है, जो चारो तरफ़ अपने दुश्मनों (इस्लामिक देशो) से घिरा है, और भारत के भी चारो दिशाओ में दुश्मन राष्ट्र जैसे (पकिस्तान, चीन, बांग्लादेश) देशो से घिरा है | मगर राष्ट्र के प्रति तन-मन-धन से उसका विकास एवं रक्षा करना भारत की अपेक्षा इस्राइल के लोगो में ज्यादा है | इस्राइल और भारत दोनों में प्रायोजित आतंकवाद (जिहाद) विगत कई वर्षो से चल रहा है, लेकिन इसको कुचलने में इस्राइल में इस्राइल ने भारत से ज्यादा तत्परता दिखाई और परिणाम पूरा विश्व देख रहा है | एक ओर जहाँ भारत लगातार एक के बाद एक बड़ी आतंकवादी घटनाये झेल रहा है, तो इस्राइल में आतंकवादियों के मनोबल में गिरावट आई है, और बड़ी - बड़ी आतंकी घटनाये भी बहुत कम हुई है | चुकी भारत और इस्राइल दोनों विकासशील देश है | दोनों देशो को अपनी राष्ट्रीय आय का अधिकांश हिस्सा सेना के ऊपर खर्च करना पड़ता है | ऐसा नही है की, हमारी सेना आतंकवाद को ख़तम नही कर सकती है | बल्कि भारतीय वायु सेना विश्व की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना है | विश्व की दूसरी बड़ी थल सेना है | जल सेना में भी हम किसी से कम नही है | टेंको और मिसाइलों की तकनीक भी बदली है, और इसको और घातक एवं धारदार बनने का प्रयास चल रहा है कमी है, तो हमारे देश के नेताओ के सोच में हैं वोट बैंक की लालच ने इन नेताओ को इतना अँधा कर दिया है, की उनको राष्ट्र की अखंडता और सुरक्षा के प्रति न सिर्फ़ आँख मूंद कर बैठे है, ऐसे - ऐसे मुददों को भी वे राजनीति का रंग चढाने में जरा भी शर्म महसूस नही करते है | यहाँ एक बात और भी बताता चलूं की, सबसे बड़ी खराबी, लचीलापन हमारे विदेश नीति में है | आज जरुरत है, राष्ट्र को एक स्पष्ट विदेश नीति की, जिसमे राष्ट्र के साथ खेलवाड़ करने वाले प्रायोजित आतंकवादी गुट या देश के विरुद्ध कड़ी कारवाई से निपटा जाए |
आलेख - कन्हैया दुबे
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