परिवारोमें संस्कृत पढ़ना अब आवश्यक हो गया है - श्री. शरद मुन्धडा

02.1.2011: जोधपुर में रविवार को हुए संस्कृत संमेलन में उद्घाटक के रूप में उपस्थित श्री. शरद मुन्धडा ने यह मार्के की बात कही. परिवारोंमे संस्कारोंके ह्रास
के कारण चिंतित अभिभावाकोंका प्रतिनिधित्व करने वाले शरदजी ने जोर देते हुए कहा की यदि संस्कृत घरोंमे बोली जाने लगेगी तो भारतीय संस्करोंकी पुनर्स्थापना संभव होगी.j
               श्री. शरतजी की ही बातों को बल देते हुए संस्कृत भारती के महामन्त्री ने कहाँ कि संस्कृत भाषा पढ़नेसे न केवल संस्करोंका पुनरज्जीवन होगा अपितु ज्ञान भण्डार के द्वार खुल जाएंगे, कारण संस्कृत केवल भाषा नही तो ज्ञानदायिनी है. राष्ट्रिय पाण्डुलिपि mission एक केन्द्र सरकारकी संस्था है. उसके अनुसार भारतमे ४८०० स्थानोंपर पाण्डुलिपियाँ संग्रहित है. कुछ विदेशों मे सुरक्षित है. उन सबको मिलाकर गंथोंकी संख्या कुछ लाख हो जाती है. इस ज्ञानको बाहर निकालनेके लिए  सबको संस्कृत सीखनी पडेगी और जीवन को इसी कार्यमे खपाना पडेगा. जीवनका सबसे महत्वपूर्ण काल ( prime time ) इसीमे लगाना पडेगा.
            कार्यक्रमके अध्यक्ष प्राध्यापक सत्यप्रकाश दुबे - जो जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष है, ने कहा की संस्कृत को लोक भाषा बनाने के लिए ही संस्कृत भारती काम कर रही है. उन्होंने इस वर्ष से आरम्भ हो रही 'सरला संस्कृत परीक्षा' के पाठ्यपुस्तक का लोकार्पण किया. यह परीक्षा अखिल भारतीय स्तर पर हो रही है. जोधपुर क्षेत्र मे १० ओक्टूबर यह आवेदन करनेकी अन्तिम तिथि है. १९ नोवेम्बेर को परीक्षा ली जायेगी. परीक्षा त्रिस्तरीय होगी. पहला स्तर माध्यमिक कक्षाओंका, दूसरा उच्चमाध्यमिक कक्षाओंका एवं तीसरा महाविद्यालयीन कक्षाओंका. पाठ्यपुस्तक के साथ परीक्षा शुल्क मात्र ५० रुपये रखा है. परीक्षा के संचालन हेतु एक राज्यस्तरीय संचालन समिति की घोषणा की गई जिसके मार्गदर्शक बीकानेरवासी माननीय संविद सोमगिरी महाराज है.
           संस्कृत सम्मेलन के पूर्व जोधपुर महानगर मे २७ स्थानोंपर दस दिन के सम्भाषण शिबिर चलाए गए जिनमे लगभग ४०० कि संख्यामे नागरिकोने भाग लिया. कार्यक्रममे वे शिबिरार्थी उपस्थित थे. सम्मेलन मे पंचातंत्र की एक कथा पर नाट्य प्रस्तुति की गई. शिबिरार्थियोने एक सामुहिक संस्कृत गीत गाया. विज्ञान एवं वस्तुप्रदर्शनी दर्शकोंके आकर्षण का केन्द्र बनी. नगरिकोंने हृदय खोलकर संस्कृत साहित्य की खरीददारी की. सरस्वती वन्दना को नन्दिनी ने गाया. अतिथियोंका परिचय महानगर संयोजक श्री. लक्ष्मन सिंह गेहलोत ने किया. जीतेन्द्र के केदार राग मे गाए हुए सुमधुर संस्कृत गीत ने समा बाँधा.
         अन्तमे  प्रान्त मंत्री श्री. तगसिंह राजपुरोहित ने दिसम्बर मासके शीतावाकाश मे होने वाले दो आवासीय भाषा बोधन वर्गोंकी घोषणा की - एक वर्ग जोधपुरमे और एक बिकानेरमे होगा. उसमे सम्भाषण वर्गोंमे भाग लेनेवालोंकोही प्रवेश होगा.   

श्रीश देवपुजारी
अखिल भारतीय मन्त्री
 Samskrit Bharati

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