हिंदू, गैर मुस्लिम, या फिर काफिर?
हिंदू, गैर मुस्लिम, या फिर काफिर?
पाकिस्तान में हाल ही में हुई विमान दुर्घटना में मरने वालों में से एक, प्रेमचंद के शव की शिनाख्त के लिए इस्तेमाल किए गए शब्द ने एक नए विवाद को जन्म दे दिया है।
हिंदू में छपी एक खबर के मुताबिक प्रेमचंद को औरों से अलग दिखाने के लिए उनके ताबूत पर लिखा गया 'काफिर'।
सिंध के संघार प्रांत के रहने वाले, सामाजिक कार्यकर्ता 25 वर्षीय प्रेमचंद युवा संसद के छह प्रतिनिधियों में से एक थे जो कराची से इस्लामाबाद जा रहे थे। यह विमान मारगाला पहाड़ियों में दुर्घटनाग्रस्त हुआ।
विमान में सवार सभी 152 लोगों की मौत हो गई थी।
एकमात्र हिंदू : प्रेमचंद एकमात्र हिंदू थे जो इस विमान में सवार थे। सभी मृतकों के शव अलग-अलग ताबूतों या कॉफिन में बंद थे और प्रेमचंद के ताबूत पर उन्हें अलग दिखाने के लिए काफिर शब्द लिखा हुआ था।
यह खबर बाहर आते ही उनके मित्र और अन्य लोगों में आक्रोश उमड़ उठा।
युवा संसद के एक सदस्य मुनीब अफजल का कहना था, 'यदि शव की पहचान गैर-मुस्लिम या हिंदू के तौर पर की जाती तो किसी को कोई आपत्ति नहीं होती। लेकिन काफिर यानी आस्था न रखने वाला...यह तो बेहद अपमानजनक है।'
वेबसाइट पाकिस्तानियत डॉट कॉम पर लोगों ने जम कर इस बात का जिक्र किया और अपना विरोध दर्ज कराया। हालाँकि कुछ टिप्पणयाँ ऐसी भी थीं कि एक जरा सी भूल को तिल का ताड़ बना कर पेश किया जा रहा है।
प्रेमचंद के मित्रों ने उन्हें एक राष्ट्रभक्त पाकिस्तानी बताते हुए उनके इस निरादर की कठोर शब्दों में आलोचना की।
प्रेमचंद का शव जब उनके घर पहुँचा तो उनके परिवारजनों को इस पीड़ा से बचाने के लिए उनके मित्रों ने काफिर शब्द को ढँकने के लिए उस पर लिख दिया था, 'हम तुम्हें बहुत प्यार करते हैं।'
लेकिन किसी तरह उनके परिवार को इस बारे में जानकारी हो ही गई और उसके बाद इंटरनेट पर प्रतिक्रयाओं का जैसे सैलाब-सा आ गया।
साभार - बीबीसी हिन्दी
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