राष्ट्रपति का चुनावी अभिभाषण
बजट के पूर्व राष्ट्रपति का अभिभाषण एक चुनावी घोषणा जैसा नजर आता है. राष्ट्रपति का भाषण पिछली बार 40 मिनट का था, लेकिन इस बार 50 मिनट का हो गया. कारण भाषण को जान-बूझ कर विकासात्मक बनाया गया. इतने लम्बे भाषण में आम आदमी और महंगाई गौण हो गया. राष्ट्रपति के अभिभाषण में इतना कुछ था कि लगा केन्द्र सरकार के जितने भी विभाग हैं, उन्होंने अपनी-अपनी उपलब्धियों को एक कागज पर उतार कर राष्ट्रपति को दे दिया हो और इसे राष्ट्रपति पढ़ती चली गयी. सबसे मुख्य बात यह रही कि पहली बार किसी राष्ट्रपति ने मेरी सरकार (कांगे्रस) शब्द का इस्तेमाल किया. वो भी एक-दो बार नहीं पूरे 30 से ज्यादा बार. कुछ बातें सराहनीय रहीं जो आम आदमी से जुड़ी लगीं, बीपीएल परिवार को 25 किलो अनाज देने की घोषणा की जाएगी. मागरेगा (महात्मा गांधी रोजगार गारंटी) के तहत सभी लोगों को रोजगार मुहैया कराया जाएगा. एक बात और सोचनीय रही कि सरकार आदिवासियों और दलितों को लेकर काफी चिंतित हैं. लेकिन राष्ट्रपति ने अपने भाषण में जान बूझ कर उन चीजों को दोहराया, जिससे आम जनता का कोई वास्ता ही नहीं है. राष्ट्रपति कहती हैं कि पाकिस्तान के साथ बात की जाएगी, चन्द्रयान पर काम शुरू हो चुका है, 1 अप्रैल 2010 से अविनार्य शिक्षा कानून लागू किया जाएगा. 2020 तक गंगा में गंदा पानी गिरना बंद हो जाएगा. सरकार काले धन को वापस लाने के लिये आयकर कानून में बदलाव करेगी. एनआरआई भारतीयों को रिझाने के लिये 2014 तक उन्हें भी वोट देने का अधिकार दिया जाएगा. एक और काम जो संप्रग के लिये और देश में आतंक को रोकने के लिये महत्वपूर्ण है, उपलब्ध होना प्रारम्भ हो जाएगा. राष्ट्रपति के अभिभाषण में एक बात चौंकाने वाली थी. उन्होंने कहा कि अगर महंगाई बढ़ती है तो पूरे देश के किसानों को फायदा होगा. शायद इसलिये सरकार महंगाई रोकना नहीं चाहती है. राष्ट्रपति महोदया एक बात भूल गयी कि महंगाई की सबसे ज्यादा मार किसानों को ही पड़ी है. आज भी रोजगार गारंटी कानून लागू हुए 5 साल हो गये, लेकिन आज भी आम आदमी तक रोजगार नहीं पहुंचा है. विपक्ष इस भाषण की प्रतिक्रिया देते हुए कहता है कि इससे माफियाओं और बिचौलियों को फायदा हुआ है. एक बात तो साफ है कि राष्ट्रपति का यह अभिभाष विश्वसनीयता पैदा नहीं करती है.
संपादक
चंदन कुमार.
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