कितने बचे हैं गांधी?


कल महात्मा गांधी जी की पुण्य तिथी थी. लेकिन याद कितने लोगों ने किया ये तो पता ही है आपको. आज देश की स्थिति यह है कि चौक चौराहों पर गांधी जी की प्रतिमा एक्का दुक्का देखने को मिलती है. देश में सड़कों के नाम तो गांधी चौक, गांधी मार्ग, महात्मा चौक मोहल्लों के नाम गांधीनगर हैं लेकिन क्या फायदा आज जो युग है उससे तो लगता है कि लोगों को गांधी गिरी से कोई लेना देना नहीं है लेना देना भी तभी होगा जब कोई काम जोर जबरदस्ती से नहीं की जा सकें तो वो काम शांति से करने में ही भलाई समझते हैं आखिर पुलिस के डड़े कौन खाये. बात करते करते कहीं हम मुद्दों से न भटक जायें. इससे पहले मैं आपको बतलाना चाहता हूं की उत्तर प्रदेश में आने वाले समय में गांधी जी की प्रतिमा से ज्यादा मायावती जी की प्रतिमा नजर आयेंगी. कहने को तो ये मायावती का ड्रीम प्रोजेक्ट है लेकिन क्या कहें लखनऊ में तो पार्क में हाथी ही हाथी नजर आ जाती है. इतना पैसा अगर गरीबों पर खर्च की होती तो आज उत्तर प्रदेश का कोई भी गरीब भुखे पेट नहीं सोता. एक बात तो समक्ष में नही आ रही है कि मायावती क्या करना चाहती है. कुछ भी हो हमारे देश के महापुरूषों को तो नहीं भुलना चाहिए था. एक आद मुर्ति इन महापुरूषों की भी लगा देती तो इनका क्या बिगड़ जाता खैर मूर्ति से ही मनुष्यता की पहचान हो जाती तो अच्छे कर्म करता कौन.

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