मोबाइल है कि झुनझुना

जमशेदपुर : कल (19.01.2010) को मैं एक बैठक में गया. बैठक में अखिल भारतीय अधिकारी जी उपस्थित थे. वहां जाने के बाद ये एहसास हुआ कि अधिकारी जी की बौधिक से ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण मोबाइल की हो गया. कई बार मोबाइल बजा परंतु वो तो अखिल भारतीय अधिकारी थे. जो कुछ नहीं बोले वरना हम तो बोल ही देते. संघ के कुछ स्‍वयंसेवक ये कहते हुए सुने गये कि लगाता है सबसे बडे अधिकारी तो यही है जिनका दिन भर मोबाइल बजता ही रहता है. कुछ ही देर बाद ये पता चला की जिसने ये वाक्‍य बोला था उनका भी मोबाइल बोल पडा क्‍या करते कुछ तो करना ही था. बैठक में एक पिल्‍लर पर एक कागज चस्‍पा हुआ था जिसमें लिखा हुआ था please switch off your mobile. अगर ये बात हमारे बैठक में आने वाले कार्यकर्त्‍ता मान लेते तो शायद बैठक का स्‍वरूप कुछ और होता. खैर दुसरों की बुराई तो सब करते हैं.

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