राम पूरी दुनिया के भगवान
कानपुर। राम केवल हिंदुओं के ही नहीं, मुसलमानों, अंग्रेजों, रूसी, चीनी सहित पूरे विश्व के भगवान हैं। धर्म के नाम पर गीता हिंदुओं ने सीने से लगा ली और मुसलमानों ने कुरान। इंसान ने इंसान को पहचानने की कोशिश नहीं की। हम अगर राम को समझते, तो मतभेद नहीं होते। मंदिर -मस्जिद की लड़ाई नहीं होती।
मानस संगम के 41वें वार्षिक समारोह में मुख्य अतिथि केंद्रीय नवीन एवं नवीकृत ऊर्जा मंत्री डा. फारूख अब्दुल्ला ने कहा कि धर्म के नाम पर दुश्मन हम बने और नाम भगवान का लिया। हमें यह समझना होगा कि राम और अल्लाह को जनता के वोट नहीं चाहिए।
उन्होंने कहा कि विकसित देशों ने दुनिया का बेड़ा गर्क कर दिया। अब कोपनहेगन में दुनिया को बचाने के लिए बैठे हैं। यहां भी छोटे व विकासशील देशों पर दबाव बनाया। ऐसे देशों को समझ लेना चाहिए कि भारत बनेगा, तो दुनिया बनेगी। उन्होंने कहा कि राज्यों की सरकारें विकास के लिए आगे आयें। उन्होंने उत्तार प्रदेश सरकार से साफ कहा कि वे विकास के लिए एक कदम बढ़ायें, दस कदम बढ़ाने के लिए हम तैयार हैं। अगर उत्तार प्रदेश सरकार विकास के लिए एक कदम भी नहीं उठाना चाहती, तो ग्यारहवां कदम भी हम उठाने को तैयार हैं। कोयला राज्यमंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा कि गंगा-जमुनी तहजीब क्या है, यह मानस संगम में आकर पता चलता। गंगा-जमुनी तहजीब जितनी मजबूत होगी, देश उतना ही विकसित और मजबूत होगा। उन्होंने मानस संगम द्वारा राष्ट्रीय एकता, साहित्यक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजनों के लिए संस्था के संस्थापक व कार्यक्रम संयोजक बद्री नारायण तिवारी के प्रयासों को सराहा।
स्वागताध्यक्ष सांसद महेंद्र मोहन ने कहा कि देश में बिजली की सख्त जरूरत है। बिजली की जरूरत को पूरा करने के लिए अन्य स्त्रोतों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने डा. फारूखअब्दुल्ला के प्रयासों को सराहा। कार्यक्रम की अध्यक्षता कथावाचक उमाशंकर व्यास ने की जबकि संचालन डा. प्रदीप दीक्षित ने किया।
सूफियाना अंदाज पर फिदा हुए लोग
कानपुर। देश के अन्य भागों की तरह कनपुरियों को भी नेशनल कान्फ्रेंस के संरक्षक डा. फारूक अब्दुल्ला का मजहबी तहजीब और सूफियाना अंदाज भा गया। साहित्यिक व सांस्कृतिक मंच से संबोधन के दौरान डॉ. अब्दुल्ला अपने को रोक नहीं सके। उन्होंने भजन सुनाकर लोगों को झूमने पर विवश कर दिया।
मेरे राम, मेरे-मेरे राम,
किस गली गयो मेरे राम,
वन-वन ढूंढबो, गली-गली ढूंढो,
किस गली गयो मोरे राम-मोरे श्याम..।
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें