पुजारियों की पिटाई पर नेपाली राजनीति गरमाई


नई दिल्ली: नेपाल की राजधानी काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ मंदिर में माओवादियों द्वारा दो भारतीय पुजारियों की पिटाई के मामले पर नेपाल से लेकर भारत तक में तीखा विरोध हुआ है। भारत ने जहां इस घटना पर सख्त ऐतराज किया है, वहीं नेपाल में सत्तारूढ़ गठबंधन के अहम घटक मधेसी जनाधिकार फोरम - लोकतांत्रिक के करीब एक दर्जन सांसदों ने सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दी है। 601 सदस्यीय अंतरिम संसद में इस पार्टी के 28 सदस्य हैं। इसकी अगुआई उप प्रधानमंत्री विजय कुमार गच्छेदार कर रहे हैं।
मामले की नजाकत देखते हुए प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल ने भी दोषियों को पकड़कर कार्रवाई करने का भरोसा दिया है। प्रधानमंत्री नेपाल ने कहा कि हम ऐसी वारदातों के मूकदर्शक नहीं हैं। अपराधियों को कटघरे में खड़ा किया जाएगा। इस पूरे विवाद के पीछे विपक्षी माओवादियों की भूमिका है। माओवादी भारत-नेपाल रिश्तों को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रदर्शनकारी गिरफ्तार : शनिवार को दंगा निरोधक
पुलिस दस्ते ने 30 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया और मंदिर परिसर तक जाने वाली सड़क को खाली कराने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। भारतीय पुजारियों की नियुक्ति का विरोध करने के लिए गठित संगठन 'पुजारी नियुक्ति विरोध संघर्ष समिति' का दावा है कि उसका आंदोलन राजनीतिक नहीं है, पर माना यह जा रहा है कि पूरे प्रकरण के पीछे विपक्षी माओवादी पार्टी की भूमिका है।
भारत ने किया विरोध : इस पूरे घटनाक्रम से भारत के सामने नई कूटनीतिक चुनौती पैदा हो गई है। नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने घटना पर रोष जताया। प्रवक्ता ने कहा कि इस मसले पर काठमांडू में भारतीय दूतावास ने नेपाल के प्रधानमंत्री से बात की है। भारत में केदारनाथ, बदरीनाथ, काशी और कर्नाटक के कई मंदिरों में नेपाली पुजारी नियुक्त हैं। शनिवार को बढ़ते तनाव के बीच नेपाल में भारत के राजदूत राकेश सूद और नेपाल के संस्कृति मंत्री मीनेंद्र रिजाल ने पशुपतिनाथ मंदिर में संयुक्त रूप से प्रार्थना की।
पुजारियों की अपील : पशुपतिनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी महाबालेश्वर बेरी ने कहा है कि अगर नेपालियों को इस मंदिर में भारतीय पुजारियों की मौजूदगी पसंद नहीं है तो वह अपने पुजारी साथियों के साथ भारत लौटने को तैयार हैं। उन्होंने नेपाल के लोगों से पुजारियों का अपमान ना करने की अपील की है। गौरतलब है कि 2 सितंबर को नेपाल के प्रधानमंत्री ने गिरीश भट्ट और राघवेंद्र भट्ट (दोनों 32 वर्ष) को नियुक्त करने का आदेश जारी किया था। पर 4 सितंबर को करीब एक दर्जन माओवादियों ने उन पर हमला बोल दिया।
साभार - नवभारत टाईम्स.कॉम


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