सेवा भारती की सेवा कार्यों का एक संख्यात्मक आलेख 'सेवा दिशा’- एक रिपोर्ट
राष्ट्रीय सेवा भारती के द्वारा देशभर में चलाये जा रहे सेवा कार्योंका एक संख्यात्मक आलेख तथा उल्लेखनीय आयामों का शब्दचित्र हर पाँच साल बाद ‘सेवा दिशा’ नाम से प्रकाशित होता है।पुणे स्थित सेवा वर्धिनी के सहयोग से 1995 में प्रथम बार यह संकलन एक देशव्यापी सर्वेक्षण के आधार पर प्रस्तुत किया गया था।उसके बाद 1997,2004,और अभी 2009 में प्रकाशित ‘सेवा दिशा’,देशभर में फैल रहे सेवाकार्यों की बढो़त्री को नापने का एक अद्भुत प्रयास रहा है। राष्ट्रीय सेवा भारती के साथ-साथ वनवासी कल्याण आश्रम,विश्व हिन्दु परिषद,भारत विकास परिषद,राष्ट्र सेविका समिति,विद्या भारती,दीनदयाल शोध संस्थान,अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद इन संगठनों के द्वारा प्रेरित अलग-अलग सेवा संस्थाओं के सेवा कार्यों को भी इस में संकलित किया जाता है। दिनांक 12, 13, 14 जुलाई को मेरठ में सम्पन्न हुई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रांत प्रचारकों की अखिल भारतीय बैठक में सेवा दिशा 2009 का प्रकाशन किया गया। सेवा दिशा 2009 में प्रकाशित तथ्य यह दर्शाते हैं की देश के सभी प्रांतों में और दुर्गम क्षेत्रों में,निस्वार्थ भाव से कार्य कर रहें स्वयंसेवकों ने और उनके द्वारा निर्मित स्वयंसेवी संस्थाओं ने सेवाकार्यों के माध्यम से समाज परिवर्तन के लिये एक सशक्त पहल की है।
इन सबके द्वारा चलाये गये सेवा के उपक्रमों में 2004 से 2009 तक 1 लाख से भी अधिक कार्यों की वॄद्धी हुई है।
एकल विद्यालय
ये केवल संख्यात्मक वॄद्धि नहीं है। ग्राम आरोग्य के लिए आरोग्य रक्षक योजना,एकल विद्यालयों का शैक्षिक प्रयोग,केरल में चल रहे बाल गोकुलम् की अद्भुत संस्कार क्षमता,महाराष्ट्र में और गुजरात में चल रहा चार सूत्री धान खेती का प्रसार,तामिलनाडु में महिलाओं के स्वयं सहायता समूह,दीप पूजा का कार्यक्रम,व्यसन मुक्ती,दिल्ली में तथा और कुछ शहरों में सड़क पर रहने वाले बच्चों के लिए चलने वाले प्रकल्प,बंगलोर और पुणे में चल रहा युवाओं को सेवा कार्य के लिए प्रेरित करने वाला युवा फॉर सेवा उपक्रम,आंध्र का बाल मजदुरों के लिए शिक्षा का प्रकल्प,
चार सूत्री धान खेती
ये सभी यही दर्शातें है की सेवा कार्य के आयाम भी बढ़ रहे हैं,अधिक सर्वस्पर्शी हो रहे हैं,तथा उपेक्षित समाज की समस्याओं का जड़ से समाधान करने की दिशा में अग्रसर हो रहे है।
संपूर्ण सेवा दिशा 2009 आगामी कुछ ही दिनों में http://rssonnet.org इस वेबसाइट पर उपलब्ध होगी।
इस बैठक में किये गए वृत्त संकलन के अनुसार पूरे देश में शहर और गाँव मिलाकर 6982 स्थानों से 10479 तरूणों ने इस बार संघ के प्रथम वर्ष की शिक्षा ग्रहण की। द्वितीय वर्ष में 2581 तथा तृतीय वर्ष में 923 स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया गया। शिक्षार्थियों को शाखा संचालन और शारीरिक कौशल्य के अतिरिक्त ग्राम विकास, आपदा प्रबंधन, नगरी सेवा बस्तियों में सेवा उपक्रम ऐसे विषयों में भी प्रशिक्षित किया गया। प्रतिवर्ष चलने वाले 20 दिन के इन निवासी वर्गों में, संघ की प्राथमिक शिक्षा ग्रहण किये हुए स्वयंसेवकों में से चुने हुए स्वयंसेवकों को प्रवेश दिया जाता हैं। मई के प्रारंभ से लेकर जून के अन्त तक चलने वाले यह वर्ग संघ के कार्यकर्ता प्रशिक्षण की एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है।
इस बैठक में आगामी विजयादशमी से प्रारंभ होने वाली विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा को सफल बनाने हेतू आवश्यक सहयोग की दृष्टि से भी चर्चा की गयी। आगामी 30 सितम्बर को कुरुक्षेत्र से इस यात्रा का शुभारंभ पूज्य संत बाबा रामदेव जी की उपस्थिति में होगा।
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