हिन्दुत्व की अलख जगा गये वरुण
बहराइच, 27 अप्रैल : राम लीला मैदान में तपती दोपहरी में सोमवार को फिर रंगमंच सजा था। ठीक उसी जगह जैसे दशहरे में भगवान राम का दरबार लगता है। इस दरबार में भी जय श्रीराम के नारे लग रहे थे। हालांकि इस मंच के नायक वरुण गांधी थे। चुनावी सभा को सम्बोधित करने यहां आए वरुण गांधी ने अपने भाषण की शुरुआत से पहले जय श्रीराम के नारे लगवाकर कार्यकर्ताओं में जोश भरने की भरपूर कोशिश की।
वह अपने प्रयास में कामयाब भी रहे। पूरा सभा स्थल काफी देर तक नारों से गूंजता रहा। भावनात्मक समर्थन हासिल करने के लिए उन्होंने अपनी लड़ाई को कार्यकर्ताओं के मान सम्मान से भी जोड़ा। वरुण खुलकर तो कुछ नहीं बोले लेकिन अपने लोगों के मान-सम्मान के लिए गर्दन कटाने की बात कहकर काफी कुछ संकेत दे गये। उन्होंने अपनी बात कहने के लिए चन्द्रशेखर आजाद के शब्दों का भी सहारा लिया। उनके नारे को सार्थक करने की बात कही। सौ करोड़ लोगों के मान-सम्मान की लड़ाई लड़ने का वादा किया तो राष्ट्रवाद को आगे बढ़ाने के साथ-साथ भाजपा की विचारधारा को उसी ताकत के साथ स्थापित करने की बात कही जो कभी प्रदेश में पार्टी को हासिल थी।
मौनीबाबा आश्रम के सामने सजे इस सियासी रंगमंच पर वरुण गांधी ने बात भले ही थोड़े शब्दों में कही हो लेकिन रामलीला मैदान में गूंज रहे जयश्रीराम के नारे और उनकी एक झलक पाने के लिए युवाओं की उमड़ी भीड़ इस बात की गवाही दे रही थी कि वरुण गांधी अपनी बात कार्यकर्ताओं तक पहुंचाने में कामयाब रहे हैं। वरुण का क्रेज सिर्फ युवा कार्यकर्ताओं में ही रहा हो ऐसा भी नहीं था। भाजपा के बुजुर्ग नेता भी उनके गले में माला डालने के लिए लालायित थे। इनमें वे लोग भी शामिल थे जिनका पूरा जीवन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को समर्पित रहा है।
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