दिखावा है या ये डर है पकिस्तान का ?

मुंबई हमलो के लगभग 2 महीने होने वाले है और हमारा रुख सिर्फ़ बयानबाज़ी तक ही सीमित है | अभी अभी समाचार पढ़ा की पकिस्तान ने जमात के ट्रेनिंग कैंप बंद कर दिए गए हैं और उसकी वेबसाइट बैन कर दी गई है।
विभिन्न आतंकवादी संगठनों के 71 लोगों को हिरासत में लिया है और 124 को नजरबंद किया है। इनमें जमात और लश्कर-ए-तैबा के भी लीडर हैं। इन दोनों संगठनों के संस्थापक हाफिज मोहम्मद सईद, मुफ्ती अब्दुररहमान, कर्नल (रि.) नाजिर अहमद, आमिर हमजा और लश्कर के ऑपरेशनल कमांडर जकीउर रहमान लखवी के भी नाम इनमें शामिल हैं। जमात के 8 राहत कैंप और 5 ट्रेनिंग कैंप बंद कर दिए गए हैं। ये पंजाब और पीओके में थे। हालांकि, इनके खिलाफ सबूत नहीं मिले हैं, पर संकेत मिले हैं कि इनमें से 5 का इस्तेमाल ट्रेनिंग कैंप के तौर पर हो रहा था। ये बयान भी पकिस्तान की ओर से इंटीरियर मिनिस्ट्री के प्रमुख रहमान मलिक ने दी है लेकिन हम पहले सुन चुके है की पकिस्तान आतंकियों पर करवाई कर रही है और एक बात कुछ ही दिन पहले पाकिस्तान ने कई आतंकियों को सबूत के आभाव में छोड़ दिया, क्या पकिस्तान किसी आतंकियों को पकड़ता है तो बगैर सबूत के? अगर नही तो फ़िर कैसे छोड़ दिए गए ये आतंकी ओर फ़िर आज ये 124 आतंकियों को पकड़ने का क्या मतलब है, कुछ दिन पहले लाल मस्जिद से बरामद हथियार गायब हो गए इसका मतलब ये हुआ की जिस देश में हथियार ही सुरक्षित नही है वहां आतंकी कैसे खुले आम घूम रहे होंगे इसका अंदाजा लगाया जा सकता है फ़िर भी ये जो पाकिस्तान आज करवाई कर रहा है क्या वो पहले नही किया जा सकता था या फ़िर वो भारत से डर गया है या पाकिस्तान को ख़ुद लगने लगा है की वो अपनी ही बुनी हुई जाल में फंसता जा रहा है, पकिस्तान में जब लाल मस्जिद में आतंकी घटनाये हुई थी तो सड़क पर खुले आम आतंकवादियो को AK-47 लहराते देखा जा सकता था, आज पकिस्तान ख़ुद बारूद की ढेर में बैठा है अगर हम देखे तो मुंबई हमले के बाद पकिस्तान के सभी नेताओ ने अपने अपने अलग अलग बयान दिए है जो भी हो आज अगर पकिस्तान जाग जाता है तो फ़ायदा उसे ही होगा वहां की जनता को होगा | भारत को तो आतंकवाद से लड़ना तो है ही लेकिन कहावत है न की "दो कदम तुम चलो, दो कदम हम चले, मंजिले जरुर मिलेगी" |

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