अनुभव

२८.०७.२००८ को संघ कार्यालय में सिरिश देवजी के साथ मिलने का अन्तिम मौका मिला । मैं स्वयंसेवक के नाते अपने अनुभव लिख रहा हूँ । जब सिरिश जी झारखण्ड के प्रांत प्रचारक थे तो में सदेव कोशिस करता था की उनके बौधिक सुनु और उसे अपने जीवन में उतारू । उनके बौधिक का कुछ रूप मैंने अपने पुस्तिका में उतरे है और जब समय मिलता है मैं उसे याद करता हूँ

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