संस्कृतभारती द्वारा 'सरला' परीक्षा का अ.भा. स्तर पर सफल आयोजन
श्रीश देवपुजारी
भारत में प्रथम बार संस्कृतभारती ने संस्कृत भाषा में विद्यार्थियोंकी रूचि बढ़ाने हेतु एक अखिल भारतीय परीक्षा का आयोजन किया. उसका परिणाम भी अप्रत्याशित है. ११ प्रान्तोंमे प्रथम प्रयास में सम्पन्न 'सरला' परीक्षा में ८२३ विद्यालायोंके ७९४०४ विद्यर्थियोने भाग लिया. अगले वर्ष यह परीक्षा भारत के सभी प्रान्तोंमे सम्पन्न करने का संकल्प संस्कृतभारती की अखिल भारतीय बैठक में लिया गया. दिनांक ११, १२ फ़रवरी २०१२ को हिमाचल प्रदेश के कुल्लू शहर में सम्पन्न हुई इस बैठक में १९ राज्योंके अध्यक्ष, मंत्री, सहमंत्री और संगठन मंत्री उपस्थित थे.
पूरा पढ़े..
Read more...
भारत में प्रथम बार संस्कृतभारती ने संस्कृत भाषा में विद्यार्थियोंकी रूचि बढ़ाने हेतु एक अखिल भारतीय परीक्षा का आयोजन किया. उसका परिणाम भी अप्रत्याशित है. ११ प्रान्तोंमे प्रथम प्रयास में सम्पन्न 'सरला' परीक्षा में ८२३ विद्यालायोंके ७९४०४ विद्यर्थियोने भाग लिया. अगले वर्ष यह परीक्षा भारत के सभी प्रान्तोंमे सम्पन्न करने का संकल्प संस्कृतभारती की अखिल भारतीय बैठक में लिया गया. दिनांक ११, १२ फ़रवरी २०१२ को हिमाचल प्रदेश के कुल्लू शहर में सम्पन्न हुई इस बैठक में १९ राज्योंके अध्यक्ष, मंत्री, सहमंत्री और संगठन मंत्री उपस्थित थे.
आने वाले वर्ष में युवाओंको संगठन के साथ
जोड़ना, पढाना और पढ़ना, पढाने के लिए कुशल शिक्षकोंका निर्माण - इस
त्रिसूत्री पर काम करनेका भी संकल्प किया गया. पूरे देशभर में २४
प्रशिक्षण शिबिर लगाये गए जिनमे १६८६ नये शिक्षकोंका प्रशिक्षण हो पाया.
आधुनिक तंत्रज्ञान का आधार संस्कृत के प्रचार के
लिए करने हेतु संस्कृत भारती के प्रयत्नोंसे गत एक वर्ष के कालावधि में
संस्कृत विकिपीडिया में ८ हजार से अधिक पृष्ठोंका साहित्य डाला गया. इतनी
काम कालावधि में किसी भी भाषा का इतना साहित्य अबतक उपलोड नहीं हुआ है. सब
जानते ही है की विकिपीडिया यह विश्व कोष अंतरताने पर सब के लिए उपलब्ध है.
अखिल भारतीय बैठक के निमित्त आयोजित कुल्लू के
नगरिकोंकी सभा में मुख्य वक्ता के रूप में भाषण देते हुए चमू कृष्ण
शास्त्री ने एक सूत्र सभी उपस्थित संस्कृत अनुरागियोंको दिया - 'संस्कृतं
व्यक्तिविकासाय, राष्ट्रविकासाय च '! उन्होंने अपने भाषण में स्पष्ट रूप
से कहा की 'संस्कृत यह ज्ञान भाषा है और ज्ञान के बल पर ही विकास संभव है
. इसलियें न तो केवल पश्चिम के और न केवल पौरवात्य ज्ञान के बल पर किसीका
विकास होगा, बल्कि दोनों ज्ञान भंडार जिसके पास होंगे वही विकास की दौड़
में आगे निकलेगा.' भारत के नाम का अर्थ ही है ' ज्ञान में जो रत, वह
भारत.' उन्होंने विश्व भर के उदाहरण देते हुए यह प्रतिपादित किया की
विदेशियोंकी रूचि संस्कृत में बढ़ रही है. यद्यपि प्रधान मंत्री वैश्विक
संस्थानोंमे कार्यरत थे फिर भी उन्होंने जानेवारी मास में हुए विश्व
संस्कृत संमेलन के उद्घाटन भाषण में अपना मूल अंगरेजी भाषण पढ़नें के
पहले स्वयं की आन्तरिक आवाज को उद्घाटित किया. उनका वाक्य था - संस्कृत
भारत की आत्मा है. सभा का सञ्चालन जिला
भाषाधिकारी डा. सीताराम ठाकुर ने किया. सभा को संस्कृत भारती के अखिल
भारतीय अध्यक्ष डा. चान्द्किरण सलूजा ने भी संबोधित किया. सभा में कुल्लू
के राजा और पूर्व सांसद श्री महेश्वर्सिंह भी उपस्थित थे.
बैठक में जो
वृत्त संकलित हो पाया उसके अनुसार भारत के ३१५ जिलोंमे २७१४ स्थानोंपर
संस्कृतभारती का काम चल रहा है. अखिल भारतीय बैठक कुल्लू के देवभवन में
सम्पन्न हुई. बैठक की सफलता के लिए कुल्लू के देवता रघुनाथजी की विशेष
पूजा की गयी जिसमे राजमाता स्वयं उपस्थित थी.
सदस्यता लें
संदेश (Atom)